इरफ़ान अहमद
सिविल अस्पताल रुड़की के पोस्टमार्टम हाउस से एक महिला का शव तब तक नहीं दिया गया जब तक मृतका के परिजनों ने छह सौ रुपये नहीं दे दिये। छह सौ रुपये का इंतजाम करने के लिए मृतका के परिजन इधर-उधर भटके। पोस्टमार्टम हाउस के कर्मी को रुपये देने के बाद ही उन्हें मृतका का शव मिला।
लक्सर के डुमनपुरी बालावाली निवासी ममता पत्नी जौनी की बुधवार को अचानक तबीयत खराब हो गई। उसे उपचार के लिए लक्सर अस्पताल लाया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। महिला की संदिग्ध हालात में मौत को देखते हुए लक्सर कोतवाली पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल रुड़की भिजवाया। सिविल अस्पताल के चिकित्सक ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम किया। मृतका के पति जौनी के मामा राजू निवासी गैवलीपुर, बिजनौर, उप्र ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस में तैनात कर्मी ने छह सौ रुपये की मांग की। कहा कि छह सौ रुपये देने के बाद ही वह शव को देगा। उन्होंने कहा कि उनके पास छह सौ रुपये नहीं हैं। वह इधर-उधर से मांगकर छह सौ रुपये का इंतजाम कर रहे हैं। काफी देर बाद जब छह सौ रुपये का इंतजाम हो गया, तब जाकर पोस्टमार्टम हाउस में तैनात कर्मचारी ने शव को परिजनों के सुपुर्द किया। कर्मचारी का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद बॉडी को सील करने के लिए पाउडर, पन्नी, कपड़ा आदि सामान की जरुरत पड़ती है। सारा सामान उसने अपने पास से लगाया था। इसी के चलते वह छह सौ रुपये मांग रहा था। वहीं, सीएमओ डॉ. प्रेमलाल ने कहा कि जो भी हुआ गलत हुआ। वह इसकी जांच कराएंगे। शव लेने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। पुलिस को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था। उधर, शव को पोस्टमार्टम के लिए लाने वाले कांस्टेबल का कहना है कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है
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