चैंपियन और कर्णवाल की सुलह से कई परेशान, दोनों के विवाद में ही देख रहे थे अपना बड़ा फायदा
मीडिया प्रभारी डॉ मो मुकर्रम मलिक
सह संपादक अमित मंगोलिया
रुड़की । खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल के बीच अचानक हुई सुलह से इन क्षेत्रों के कई नेता खासे परेशान हैं। दरअसल यह वह नेता है जो कि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवाल के बीच चल रहे विवाद में ही अपना फायदा मानकर चल रहे थे। अब दोनों विधायकों के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हस्तक्षेप पर समझदारी कायम हो गई तो ऐसे नेताओं को बड़ा झटका लगा है। वैसे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विवाद से दोनों विधायकों को काफी नुकसान पहुंचा है। विवाद के दौरान दोनों ही विधायक अपने क्षेत्रों के विकास पर ध्यान नहीं दे सके। जिससे कि कहीं ना कहीं संबंधित विधानसभा क्षेत्रों का विकास भी बाधित हुआ और वहां की जनता के हित भी प्रभावित हुए। यह बात अपनी जगह सही भी है कि पिछले कुछ समय दोनों विधायक की क्षेत्र के विकास को लेकर रफ्तार काफी कम रही। दोनों विधायकों के प्रतिद्वंदी ने इसका काफी फायदा उठाने की कोशिश भी की। कुछ स्थानीय नेता चाहते थे कि दोनों विधायकों के बीच इसी तरह से गतिरोध बना रहे। ताकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में यह दोनों विधायक ही अपने-अपने क्षेत्र में मुकाबले में न आ सके। इस स्थिति को दोनों विधायक भी समझ रहे थे और उनके समर्थकों के लिए भी इस तरह की चर्चा चिंता का विषय बनी हुई थी। इसीलिए दोनों विधायकों के समर्थक गतिरोध समाप्त कराना चाहते थे। भाजपा संगठन भी इस बात को लेकर खासा परेशान था और यह बात मान कर चल रहा था कि यदि दोनों विधायक के बीच इसी तरह से गतिरोध बना रहा तो यह राजनीतिक रूप से बेहद कमजोर हो जाएंगे। ऐसे में पार्टी के लिए दोनों विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी के तौर पर अन्य नामों पर विचार करना मजबूरी हो जाएगा। संगठन स्तर पर हो रही चिंता से कहीं ना कहीं दोनों विधायक भी अवगत हुए । कहा जा रहा है कि इसीलिए दोनों विधायक मामले को पूरी तरह से सुलझाने के पक्ष में थे । अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों विधायकों के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप किया तो कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवा वाल ने उनकी बात को माना। वैसे भी राजनीतिक रूप से दोनों विधायकों की कहीं कोई प्रतिबद्धता नहीं है। एक अनुसूचित सीट से चुनाव लड़ते हैं तो दूसरे सामान्य सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं। यदि पूर्व के चुनाव को देखा जाए तो दोनों ही विधायकों ने एक दूसरे कि कोई मुखालफत भी नहीं की। सहकारिता, गन्ना ,पंचायत के चुनाव में भी दोनों के बीच कभी टकराव की स्थिति नहीं बनी। बावजूद इसके काफी दिनों तक बेवजह विवाद बना रहा। पर अब मामला शांत हो गया है तो दोनों विधायकों के साथ ही उनके समर्थकों की भी दिनचर्या सामान्य हो गई है यह बात अलग है कि जो लोग दोनों विधायकों के बीच के गतिरोध को अपने फायदे में देख रहे थे । वह आज काफी बेचैन नजर आए। इनमें से कुछ का तो कहना था कि अब यह दोनों विधायकों वर्ष 2022 के चुनाव के लिए फिर से अपनी मजबूत जमीन तैयार कर लेंगे। सबसे बड़ा झटका उनको लगा है जो कि यह मानकर चल रहे थे कि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवाल को भाजपा से टिकट नहीं हो पाएगा। उनकी जगह उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर प्राप्त हो जाएगा
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