न पूरे हेलीकॉप्टर और न ट्रेंड पायलट, भर दिए उत्तराखंड में टेंडर, अब हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
केदारनाथ में हेली सेवाएं देने के लिए हेली कंपनियों ने जो टेंडर भरे हैं उनमें भारी अनियमितता की शिकायत हुई। इस बारे में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई तो कोर्ट ने अब हेली कंपनियों के उड़ान भरने के टेंडर में अनियमितता मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नागरिक उड्डयन विभाग, आठ हेली कंपनियों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी ए श्रीनिवासन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हेली कंपनियों के पास अतिरिक्त हेलिकॉप्टर नहीं हैं। पायलटों के पास अनुभव प्रमाणपत्र नहीं हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने निविदा प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार सहित अन्य को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
दूसरी तरफ नैनीताल हाईकोर्ट ने कोटद्वार में नजूल भूमि और बदरीनाथ हाईवे पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अपने पहले के आदेश में संशोधन किया है। अदालत ने नगर निगम कोटद्वार को निर्देश दिए हैं कि वह 15 दिन के भीतर अतिक्रमणकारियों के कागजों की जांच कर लें और दो माह के भीतर अतिक्रमण को हटाए।
अदालत ने इससे पहले पारित आदेश में नजूल भूमि और हाईवे के आसपास हुए अतिक्रमण को आठ सप्ताह के भीतर हटाने के आदेश दिए थे। कुछ अतिक्रमणकारियों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।
इधर, मामले में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। कोटद्वार निवासी मुजीब नैथानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कोटद्वार में नजूल भूमि व बदरीनाथ हाईवे पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और निर्माण कार्य किया जा रहा है। याचिका में कहा कि अतिक्रमण के कारण हाईवे संकरा हो गया है और आए दिन जाम लगा रहता है। इसलिए इस पर से अतिक्रमण को हटाया जाए।
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