देहरादून : प्रमुख राज्य आंदोलनकारी समाज सेवी एवं महिला नेत्री भावना पांडे ने कहा पर्वतीय महिलाओं का जीवन जिस मानवजनित आपदा से सबसे ज्यादा तहस- नहस हुआ है, उसमें शराब की भूमिका सबसे मुख्य है। महिलाओं के समक्ष तमाम समस्याओं के बीच शराब पूर्व से ही किसी आपदा से कम नहीं थी,अब विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों के बढ़ते प्रचलन से पहाड़ की मातृ शक्ति झकझोर हो उठी है
उन्होनें कहा हाल के दशकों में शराब एक लाई लाज बीमारी बनकर महिलाओं के अस्तित्व के लिए एक भयावह चुनौती बन कर खड़ी है।अगर किसी भी परिवार में मद्यपान करने वाला चाहे पति हो, पुत्र हो, भाई हो या फिर पिता हो, इस बुराई का सर्वाधिक नुकसान सम्बन्धित परिवार की महिलाओं को ही झेलना पड़ता है। ऐसे परिवारों की महिलाओं का जीवन जहां शराब ने नरक बना डाला है
वहीं अन्य नशीले पदार्थों की बढ़ोतरी से वे टूटन के कगार पर है।ऐसे परिवार प्रगति की राह में काफी पीछे रह गये हैं।
राजस्व की बात करने वाले शियासी दलों तथा सरकारों को शराब से हो रही पहाड़ की बरबादी कभी नहीं दिखाई दी। नशे के बढ़ते प्रभाव से यहां के समृद्ध सांस्कृतिक मूल्य, स्वस्थ व सौहार्दपूर्ण जीवन शैली, सामाजिक व आर्थिक ढॉचा सब कुछ तहस- नहस होता चला गया। युवा पीढ़ी में स्वास्थ्य का गिरता ग्राफ चिन्ताजनक स्तर तक पहुंच गया। सामूहिक जन आक्रोश को देखते हुए बेशक तत्कालीन सरकार ने कुछ समय के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में ड्राई एरिया घोषित किया परन्तु उस दौरान शराब तस्करी चरम पर पहुंच गयी, पहाड़ के चन्द तस्कर रातों- रात धन्ना सेठ बन गये जिसने एक नई आर्थिक विषमता को जन्म दिया
सरकारों की अव्यावहारिक एवं जनविरोधी नीतियों के चलते उत्तराखण्ड में जहां जंगल व जमीनों पर माफिया काबिज होते चले गये वहीं यहां के जल स्रोत सूखने से पशुपालन व अन्य परम्परागत व्यवसाय प्रभावित हुए। परिणामस्वरूप बेराजगारी का भयावह चेहरा सामने आया। उस पर शराब व अन्य नशे की सामग्री की कुसंस्कृति ने पहाड़ के शान्त व सुखद वातावरण में जहर घोल दिया। यह समस्या आज भी समस्या है
भावना पांडे ने कहा इन तमाम समस्याओं के निदान के लिए वह निरंतर संघर्ष करेंगी तथा देव भूमि की पावन मर्यादा की रक्षा के लिए सदैव अग्रणी रहेंगी
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