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शकुन शास्त्र से संगृहीत कौए के बारे में रोचक व ज्ञान वर्द्धक कुछ जानकारियां

शकुन शास्त्र से संगृहीत कौए के बारे में रोचक व ज्ञान वर्द्धक कुछ जानकारियां
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प्राचीन समय के ऋषियों मुनियों ने अपने शोध में बताया था की प्रत्येक प्राणियों के विचित्र व्यवहार एवं हरकतों का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य होता है। इस के संबंध में अनेको बाते हमारे पुराणों एवं ग्रंथो में भी विस्तार से बतलाई गई है।।
हमारे सनातन धर्म में माता के रूप में पूजनीया गाय के संबंध में तो बहुत सी बाते हम लोग जानते ही होंगे, परन्तु आज कुछ अलग घरेलू जैसे प्राणियों के संबंध में पुराणों से ली गई कुछ ऐसी बातों के बारे में आलोकपात करेंगे, जो बहुत लोग पहले कभी सायद किसी से नहीं सुनी होगी। प्राणियों से जुड़े रहस्यों के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई, जो किसी को आश्चर्य में डाल सकती है।।
।।कौए का रहस्य।।
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कौए के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई है। मान्यता है की कौआ अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरो का आश्रम स्थल माना जाता है। कौए के भिर्न भिर्न ध्वनि युक्त बोली से अर्थ निकालने के लिए एक स्वतंत्र संस्कृत ग्रन्थ भी कंहा कंहा उपलब्ध है।।
हमारे धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने देवताओ और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था। यही कारण है की कौआ की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। यह पक्षी कभी किसी बिमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। इसकी मृत्यु अनजान कारण वशः आकस्मिक रूप से होती है।।
यह बहुत ही रोचक है की जिस दिन कौए की मृत्यु होती है, उस दिन उसका साथी भोजन ग्रहण नहीं करता। यह बात गौर देने वाली है की कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता। यह पक्षी किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है।।
कौआ की लम्बाई करीब 20 इंच होता है, तथा यह गहरे काले रंग का पक्षी है। जिनमे मर्द और मादा– दोनों एक समान ही दिखाई देते है। यह बगैर थके, मिलो उड़ सकता है। कौए के बारे में पुराण में बतलाया गया है की किसी भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास उनको पहले ही हो जाता है।।
पितरो का आश्रय स्थल :–
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श्राद्ध पक्ष में कौए का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है। इस पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौआ को भोजन कराता है, तो यह भोजन कौआ के माध्यम से उसके पीतर ग्रहण करते है। शास्त्रों में यह बात स्पष्ट बतलाई गई है की– कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है।।
भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं। कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।।
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।।कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन।।
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(1) यदि हम शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते है, कौआ को भोजन कराना चाहिए।।
(2) यदि आपके मुंडेर पर कोई कौआ बोले तो मेहमान अवश्य आते है।।
(3)यदि कौआ किसी घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझे जल्द ही गृहस्थ पर लक्ष्मी की कृपा होने वाली है।।
(4) पश्चिम दिशा से बोले तो घर में मेहमान आते है।।
(5) पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।।
(6) दक्षिण दिशा से बोले तो बुरा समाचार आता है।।
(7) कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है।।

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