अब पश्चिमी नेपाल में सुरक्षित ठिकाना तलाश रहा अलकायदा
हल्द्वानी : : नोर्डिक मॉनीटर पत्रिका की पड़ताल में नेपाल से सटे सीमावर्ती भारतीय क्षेत्रों में अलकायदा की पैठ बेहद चौंकाने वाली है। हालांकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने वर्ष 2008 में ही इसकी आशंका जताते हुए अलर्ट जारी कर इस्लामी संघ नेपाल (आइएसएन) की निगरानी बढ़ा दी थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश व बिहार से लगती सीमा पर ताबड़तोड़ कार्रवाई भी हुई।
भारत-नेपाल संबंधों के जानकार व खुफिया एजेंसी के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी बीएस भंडारी बताते हैं कि बाद के दिनों में अलकायदा ने अपना टार्गेट बदला। उसने सीमावर्ती क्षेत्रों में खुद को नए सिरे से स्थापित करने के लिए नेपाल के सुदूर पश्चिम क्षेत्र का रुख किया, जहां से उसकी नजर उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश व दिल्ली पर गड़ गई। लेकिन अभी तक वह मजबूत नेटवर्क तैयार नहीं कर सका है।
नोर्डिक मॉनीटर पत्रिका की पड़ताल में सामने आया
कुख्यात आतंकी संगठन अलकायदा तुर्की के माध्यम से नेपाल में भारत की सीमा से लगे क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए इस्लामी संघ नेपाल (आइएसएन) के साथ तुर्की के संगठन काम कर रहे हैं। आतंकियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र मानकर यहां उनके संसाधनों को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
पूरे नेपाल में सक्रिय है इस्लामी संघ
इस्लामी संघ नेपाल का मुख्य काम इस्लाम धर्म का प्रचार व प्रसार करना है। इसके लिए संघ पूरे नेपाल में समाज को एकत्रित करने के लिए आयोजन करता है। पूरे नेपाल में इसके मदरसे व आधुनिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूल भी हैं। 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप के समय भी संघ ने बड़ी मदद की थी।
बाटला हाउस के बाद चर्चा में आया आइएसएन
बाटला हाउस इनकाउंटर के बाद फरार आतंकी आरिज और सुभान तौकीर की गिरफ्तारी के बाद से ही इस्लामी संघ नेपाल चर्चा में आया। दोनों को नेपाल में इसी संगठन ने शरण दी थी। इंडियन मुजाहिद्दीन के यासिन भटकल को भी इसी संगठन ने नेपाल में सुरक्षित पनाह दी थी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार आइएसएन को पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामिया से भी फंडिंग होती है।
सिमी से मेल खाती है आइएसएन की विचारधारा
खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस्लामी संघ नेपाल (आइएसएन) की विचारधारा आतंकी संगठन सिमी से मेल खाती है। इससे जुड़े कुछ सदस्यों का नाम आतंकियों को नेपाल की फर्जी नागरिकता दिलाने में भी आया। ये भारत से फरार आतंकियों को नौकरी दिलाने के साथ ही आर्थिक सहायता भी मुहैया कराते हैं।
1991 में नेपाल बार्डर पहली बार आया सुर्खियों में
आतंकी गतिविधियों में नेपाल 1991 में सुर्खियों में आया। तब गोरखपुर से लगते सोनौली बार्डर से पंजाब का आतंकी सुखविंदर सिंह दबोचा गया। इसके बाद सिद्धार्थनगर जिले की बढऩी सीमा पर भाग सिंह व अजमेर सिंह नाम के आतंकी पकड़े गए। वर्ष 1993 में सोनौली बॉर्डर से ही एक बार फिर मुंबई कांड का दोषी टाइगर मेमन पकड़ा गया। नेपाल में शरण लिए कराची के आतंकी जब्बार को एटीएस ने लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से पकड़ा।
अब्दुल करीम टुंडा ने भी नेपाल में ही ली थी शरण
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के टॉप-20 आतंकियों में शुमार अब्दुल करीम टुंडा के भारत-नेपाल सीमा पर दिल्ली पुलिस के हत्थे चढऩे के बाद नेपाल बॉर्डर सुॢखयों में आया था। इसके बाद इंडियन आइएम के सरगना यासीन भटकल की भी यहीं से गिरफ्तारी हुई।
इन्हें भी मिली थी पनाह
मिर्जा दिलशाद बेग, माजिद मनिहार, परवेज टाडा, इश्तियाक, मुन्ने खां, मुरारी पहलवान, इल्ताफ, नासिर, रूदल यादव जैसे कुख्यात अपराधियों ने भी नेपाल को शरणस्थली बनाई। सभी ने आइएसआइ से हाथ मिलाकर भारत विरोधी गतिविधियों को भी अंजाम दिया।
नेपाल के हिमालयन होटल में हुआ था आइएम का गठन
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर काम करने वाले आतंकी संगठनों इंडियन मुजाहिदीन का ऑपरेशन सेंटर नेपाल ही था। आतंकी यासीन भटकल की देखरेख में नेपाल के नगरकोट के हिमालयन होटल में इंडियन मुजाहिदीन का गठन हुआ था।
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