बंगाल में CAA है चुनावी मुद्दा, लेकिन असम में जिक्र तक नहीं
देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरू होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में राजनीतिक दल बेहिसाब वादे करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच भाजपा के चुनावी मुद्दे नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए पर लोगों की खास नजरें बनी हुई हैं, लेकिन पार्टी इसे पश्चिम बंगाल में जोर-शोर से उठा रही है, जबकि असम में इसका जिक्र तक नहीं किया गया। यही हाल नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजनशिप यानी एनआरसी का भी है। गौर करने वाली बात यह है कि बंगाल में पार्टी सत्ता हासिल करने की कोशिशों में लगी हुई है, जबकि असम में उसे अपनी राजनीतिक गद्दी बचानी है। ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि दोनों राज्यों में एक जैसे मुद्दों पर अलग-अलग क्यों हैं भाजपा का रुख?
असम में नहीं किया सीएए का जिक्र
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार (21 मार्च) को पश्चिम बंगाल में भाजपा का संकल्प पत्र जारी किया। वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार (23 मार्च) को असम में संकल्प पत्र का एलान किया। बंगाल में भाजपा ने जोर-शोर से सीएए लागू करने का मसला उठाया, लेकिन असम में इसका जिक्र तक नहीं किया। नड्डा ने असम में एनआरसी लागू करने की बात कही, लेकिन वह भी सही तरीके से।
बंगाल में भाजपा ने किया यह वादा
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में संकल्प पत्र जारी करते वक्त भाजपा ने जोर-शोर से नागरिकता संशोधन एक्ट का जिक्र किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए को बंगाल में सरकार बनते ही पहली कैबिनेट से पास कराया जाएगा। सरकार बनने के बाद घुसपैठियों के लिए बंगाल के दरवाजे बंद कर दिए जाएंगे।
सीएए पर असम में क्या कहा?
असम में सीएए के मसले पर जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा असम से घुसपैठियों को बाहर निकालेगी। हालांकि, इसके लिए सीएए का जिक्र नहीं किया गया। नड्डा ने कहा कि असम के संरक्षण के लिए सही एनआरसी पर काम किया जाएगा, जिससे वास्तविक भारतीयों की रक्षा हो सके। साथ ही, घुसपैठियों को बाहर निकाला जा सके। हालांकि, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।
इस वजह से अलग है पार्टी का रुख
बता दें कि भाजपा बंगाल में सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में वह हिंदुत्व के साथ-साथ सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दे उठा रही है। इसके अलावा सरकारी नौकरी में महिलाओं को आरक्षण, किसान सम्मान निधि लागू करने, मछुआरों को आर्थिक मदद जैसे मसलों पर भी आक्रामक हो रही है। उधर, असम में भाजपा की सरकार है, जिसे बचाने के लिए पार्टी हर कोशिश रही है। दरअसल, सीएए के मुद्दे पर 2019 के दौरान असम में काफी बवाल हुआ था। माना जा रहा है कि इसी वजह से भाजपा ने इस मसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
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