गैरसैंण मामले में कैबिनेट मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने भी खोला मोर्चा
देहरादून: उत्तराखंड में गैरसैंण के रूप में तीसरी कमिश्नरी की पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा को लेकर भाजपा में दबे नाराजगी के सुर अब सतह पर आने लगे हैं। इस मामले में कैबिनेट मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने मोर्चा खोला है। डा.रावत ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस बारे में किसी से राय नहीं ली। यह निर्णय किन परिस्थितियों में हुआ, वह नहीं जानते, मगर यह उत्तराखंड और पार्टी हित में नहीं था। कमिश्नरी से बेहतर तो यह होता कि गैरसैंण को जिला बनाया जाता।
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चार मार्च को सदन में गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों के दो-दो जिलों को मिलाकर गैरसैंण कमिश्नरी बनाने की घोषणा की थी। हालांकि, इसके तत्काल बाद से ही गैरसैंण कमिश्नरी का विरोध होने लगा था। अल्मोड़ा और बागेश्वर के लोग इसे लेकर मुखर हुए तो कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधने में देरी नहीं लगाई। हालांकि, भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद जब नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कमान संभाली, तो उन्होंने साफ किया कि गैरसैंण कमिश्नरी के मामले में जनभावनाओं के अनुरूप फैसला लिया जाएगा। अब भाजपा के भीतर से भी गैरसैंण कमिश्नरी को लेकर दबे विरोध के सुर सामने आने लगे हैं।
कैबिनेट मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने कहा कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की तो उसके बाद वह उनसे मिले और कहा कि इस बारे में पार्टी के स्तर पर पहले सलाह-मशविरा होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि गैरसैंण कमिश्नरी का निर्णय कैसे और किस स्तर पर हुआ, उन्हें इसकी जानकारी नहीं। अलबत्ता, यह निर्णय उत्तराखंड और पार्टी के हित में नहीं था। उन्होंने कहा कि द्वाराहाट और कर्णप्रयाग तहसीलों को मिलाकर गैरसैंण जिला बनाया जाता तो यह बेहतर रहता।
Share this content: