टूलकिट मामले में शुभम कर चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका टली
टूलकिट मामले (Toolkit Case) में सोमवार को निकिता जैकब, शुभम कर चौधरी और शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत अर्जी पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस बीच आरोपी शुभम की अग्रिम जमानत याचिका पर कोर्ट ने 16 मार्च तक सुनवाई टाल दी है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को सुनवाई होने तक शुभम की गिरफ्तारी न करने का निर्देश दिया है.
टूलकिट मामले में दूसरे आरोपी शांतनु की अग्रिम जमानत पर सुनवाई हुई है. शांतनु की तरफ से वकील वृंदा ग्रोवर पैरवी कर रही हैं. वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट से कहा कि शांतुन से 18 दिनों तक लगातार पूछताछ की गई. वह बराबर पूछताछ में शामिल हो रहा है. शांतनु की उम्र 34 साल है. पेशे से इंजीनियर रहा है और कभी कोई क्रिमिनल रिकोर्ड नहीं रहा.
वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट से कहा शांतनु 2019 में पर्यावरण के लिए वैश्विक स्तर पर काम करने वाले रिबेलीयन ग्रुप से जुड़े थे. शांतनु ने अपना सोशल मीडिया का अकाउंट और उसका पासवर्ड भी दिल्ली पुलिस को जांच के पहले दिन बताया. इसके अलावा मोबाइल, आईपैड, लेपटॉप, मां का मोबाइल भी दिल्ली पुलिस को जांच के लिए दिया. जांच के दौरान 115 सवालों का जवाब दिया और बैंक अकाउंट की डिटेल्स भी पुलिस को जांच के दौरान दी. शांतनु ने अपना पैन कार्ड भी दिया.
उन्होंने कोर्ट से कहा कि शांतनु को प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस की कोई जानकारी नहीं है और ना उससे कोई संपर्क है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन प्रतिबंधित संगठन नहीं है, पर्यावरण कैम्पेन के लिए इससे जुड़ा था. बातचीत सार्वजनिक डोमेन पर है. हम में से दो संगठन की ओर से जूम कॉल करते हैं. जूम कॉल 11 जनवरी को हुई थी.
शांतनु की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पहली बातचीत इंस्टाग्राम पर हुई थी, इंवाइट लिंक मेल पर आया था. कोर्ट ने इंस्टाग्राम इंवाइट की कॉपी मांगी. कोर्ट ने कहा कि हमको इंस्टाग्राम की जानकारी नहीं है. शांतनु की वकील ग्रोवर ने कहा पुनीत नाम की एक महिला ने इंस्टाग्राम पर मैसेज भेजा था. उस महिला ने पोएटिक जस्टिस संस्था के नाम पर कॉन्टेक्ट किया था. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खलिस्तान के किसी भी सम्बंध का कोई उल्लेख नहीं है. किसी भी प्रत्यक्ष सीधे बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
क्या है टूलकिट का मामला
‘टूलकिट’ में ट्विटर पर किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है. दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने ‘‘भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध’’ छेड़ने का आरोप लगाकर 4 फरवरी को इस मामले में FIR दर्ज की थी. पुलिस ने बताया था कि दस्तावेज ‘टूलकिट’ का लक्ष्य भारत सरकार के प्रति वैमनस्य और गलत भावना फैलाना और विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच वैमनस्य की स्थिति पैदा करना है.
ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के समर्थन में यह ‘टूलकिट’ (गूगल डॉक्यूमेंट) ट्विटर पर शेयर की थी, जिसके बाद पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. दिल्ली पुलिस ने बताया है कि ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट अपलोड किए जाने के बाद दिशा रवि ने वॉट्सऐप ग्रुप पर उससे बात की थी और टूलकिट को अपलोड ट्वीट नहीं करने को कहा था. पुलिस ने दावा किया कि थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित रूप से ट्वीट को हटा दिया और बाद में, दूसरा गूगल डॉक्यूमेंट शेयर किया था.
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