सोशियल मीडिया पर लिखी पाती त्रिवेंद्र रावत के विरोध में कलाकारों का मन भी हुवा विचलित आखिर क्या थी ऐसी वजह
गैरसैंण को मंडल बनाने का क्या तर्क है .
माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी मैं व्यक्तिगत तौर पर आपका बहुत सम्मान करता हूँ और करता रहूँगा , वो इस कारण नहीं कि आपने मेरे गीत ‘ तु ऐ जा औ पहाड़ ,, का विमोचन किया , पर आज मैं आपके द्वारा जाते – जाते गैरसैंण को मंडल बनाकर उसमें अल्मोड़ा , चमोली , बागेश्वर व रुद्रप्रयाग के शामिल किये जाने के फ़ैसले का घोर विरोध करता हूँ , बजाय इसके के कैसे हम पहले के दो मंडलों गढ़वाल व कुमाऊँ मंडल के लोगों को एक साथ लायें उलट इसके आपने एक और नया मंडल बनाकर राज्य में राजनीतिक बवंडर लाने की ना सिर्फ़ कोशिश करी बल्किन उसमें सफलता भी हासिल की , मेरा गाँव उस जगह है जहाँ से कुमाऊँ के तीन ज़िले चम्पावत जहाँ से मैं हूँ , पिथौरागढ़ जहाँ की मेरी भाषा है और अल्मोड़ा , जो मेरी आत्मा से किसी भी रूप में कम नहीं है , क्यों कि मैं कलाकार हूँ तो एक कलाकार होने के नाते अल्मोड़ा मेरे लिये कितना महत्व रखता है इसे बताने की मुझे ज़रूरत भी महसूस नहीं होनी चाहिये जो कि है भी नहीं , पर आज दुर्भाग्यवश मुझे अपने इस लेख के माध्यम से आपको कहना व बताना पड़ रहा है कि अल्मोड़ा उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी है , अगर मैं यह कहूँ तो शायद ग़लत नहीं होगा कि अल्मोड़ा कुमाऊँ की ही नहीं बल्किन उत्तराखंड की भी अंतरआत्मा है , आपका यह फ़ैसला जो आपने गैरसैंण को मंडल बनाने का लिया था यह दुर्भाग्यवश हो , या अंजाने में हो या फिर
सोची समझी रणनीति के तहत हो पूर्णतः निहायत ही ग़लत फ़ैसला है ,
अर्थात् उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री माननीय श्री तीरथ सिंह रावत जी से मेरा निवेदन है कि गैरसैंण को मंडल बनाये जाने के पिछली सरकार के फ़ैसले को निरस्त कर अथवा वापस लेकर राज्य में पहले की यथास्थिति क़ायम करें , व साथ ही श्री तीरथ सिंह रावत जी उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री बनने पर हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएँ .
बी. के. सामंत .
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