नए निजाम को कही भारी न पड़ जाय पुराने फैसले बदलना
क्या त्रिबेन्द्र ने अकेले ही लिए थे देवस्थानम बोर्ड बनाने,गैरसैण को नई कमिश्नरी बनाने,कुम्भ को आम जन के लिए सीमित रखने के फैसले
नए निजाम के साथ पुरानी टीम
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। भाजपा के पूर्व सीएम त्रिबेन्द्र सिंह रावत व उनकी कैबिनेट के कुछ फैसलों को वर्तमान सीएम तीरथ रावत ने जनहित में बदलने पुनः विचार करने की बात तो कर दी। लेकिन राज्य में सिर्फ सीएम और मंत्री परिषद के तीन नए सदस्यों को जोड़ दें तो,बाकी पुरानी कैबिनेट ज्यूँ की त्यों है और इसी मंत्री परिषद ने यह सभी फैसले सामूहिक लिए होंगे। फिर इनको बदलना इतना आसान होगा? भले ही जनता आज तीरथ रावत के इस कदम का स्वागत कर रही है। लेकिन फैसलों को पलटने की यह जल्दबाजी नए निजाम पर कही भारी न पड़ जाय? उतराखण्ड में बिगत चार सालों में प्रचंड बहुमत की त्रिबेन्द्र सरकार ने कई फैसले लिए कुछ जन स्वीकार्य हुए और कुछ अस्वीकार्य रहे। यही कारण रहा कि राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम बड़ी तेजी से बदला और भाजपा आलाकमान ने त्रिबेन्द्र को कुर्सी से उतारकर पौड़ी लोक सभा सांसद तीरथ रावत पर विश्वाश जताते हुए राज्य की कमान सौंपी। सीएम बनते ही तीरथ रावत ने दो ही रोज में कुछ बड़े निर्णय लिए जिसमे एक राज्य वासियों पर कोरोना काल मे दर्ज मुकदमे वापिस किया जाना,हरिद्वार कुम्भ में कोरोना के कारण लगी बंदिशें हटाने,प्राधिकरणों का मामला,उतराखण्ड देवस्थानम बोर्ड व गैरसैण कमिश्नरी पर पुरः विचार करने,तीन माह से अठारह किलोमीटर नंद प्रयाग घाट रोड को डबल लेन करवाने के लिए आंदोलन कर रहे आंदोलकारियों पर लाठीचार्ज के बाद गरमाई राजनीति पर भी इन चार दिनों में ही सीएम तीरथ रावत ने सड़क डबल लेन करने,आड़े आ रहे रिजर्व फारेस्ट पर जल्दी बात करने की बात कहकर यह दिखा दिया कि जनता के हितों को केंद्र में रख कार्य नई सरकार द्वारा कार्य किया जाएगा। लेकिन सीएम ने जिन निर्णयों को बदला है यह पुनः विचार की बात कर रहे है वह होगा कैसे यह बड़ा सवाल इसलिए भी है कि जिस मंत्री परिषद ने यह फैसले बिगत दिनों लिए वह आज इस सरकार में भी मंत्री है फिर क्या अपने पूर्व के फैसलों पर मंत्री पुनर्विचार करने के लिए सीएम का साथ देंगे ?
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