वनाग्नि पर काबू पाने की तैयारी, लैंसडाउन वन प्रभाग में 26 क्रू स्टेशन किए गये स्थापित
लैंसडाउन वन प्रभाग कुल 43327.60 हेक्टेयर भूमि फैला हुआ है. जिसमें वनाग्नि की घटनाओं पर नजर रखने के लिए 26 क्रू स्टेशन स्थापित किए है।
कोटद्वार। गर्मी बढ़ने के साथ ही जंगलों में वनाग्नि की घटनाएं सामने आने लगी है. 43327.60 हेक्टेयर भूमि में फैला लैंसडाउन वन प्रभाग में 26 क्रू स्टेशन स्थापित किए हैं, जो जंगलों में लगी आग की घटनाओं पर नजर रखेंगे।सभी क्रू स्टेशनों को प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा सुचारू कर दिया गया है.15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है।फायर सीजन शुरू होने के साथ ही जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगी है। हालांकि, वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने के लिए लैंसडाउन वन प्रभाग ने कई योजनाएं बनाई है। लैंसडाउन वन प्रभाग में कोटद्वार, कोटड़ी, दुगड्डा, लालढांग व लैंसडाउन रेंज आती है।
लैंसडाउन वन प्रभाग में 26 क्रू स्टेशन किए गये स्थापित।
लैंसडाउन वन प्रभाग कुल 43327.60 हेक्टेयर भूमि फैला हुआ है. लैंसडाउन रेंज को पर्वतीय रेंज माना जाता है, बाकी चार को तराई की रेंज मानी जाती है।विभाग ने फायर सीजन में आग पर काबू पाने के लिए लैंसडाउन वन प्रभाग के अंदर 26 क्रू स्टेशन बनाए हैं।सभी क्रू स्टेशनों को एक्टिव कर दिया गया है। सेटेलाइट से मिली तस्वीरों और सूचनाओं की जानकारी तत्काल क्रू स्टेशनों को दी जाएगी. ताकि समय रहते आग पर काबू पाया जा सकें।आग पर काबू पाने के दौरान अधिकारी और कर्मचारियों को सुरक्षित रहने की हिदायत दी गई. क्योंकि, 10 फरवरी देर शाम पोखड़ा रेंज में आग बुझाने के लिए गये दो वनकर्मियों की चट्टान से गिरकर मौत हो गई थी।
लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि वन प्रभाग में सभी क्रू स्टेशनों को एक्टिव कर दिया है. क्रू स्टेशनों में दैनिक वेतन पर कुछ कर्मचारियों की तैनाती की गई है। सभी कर्मचारियों का आधार कार्ड कार्यालय में जमा किए गए है, ताकि किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो सके। जितनी भी सुविधा फायर वॉचर्स को देनी होती है, उनको उपलब्ध करा दी गई है।क्रू स्टेशनों में तैनात फायर कर्मियों को एक स्पेशल ड्रेस दी जा रही है।जिससे वह अपने बचाव कर सकें।
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