देहरादून। पूरे भारत में रामलीला का मंचन, नाट्य मंचन का महोत्सव आमतौर पर नवरात्रि या दशहरे के अवसर पर ही आयोजित होता है। लेकिन उत्तराखंड के सीमांत जिले चमोली में एक ऐसा गांव भी है, जहां होली के पावन पर्व पर रामलीला का मंचन किया जाता है। दरअसल चमोली के डिम्मर गांव में होली पर्व पर हर साल रामलीला का आयोजन होता है। रामलीला का आयोजन, ईस्ट पूजन के तौर पर बसंत ऋतु में होली के समय होने की अनूठी प्राचीन परंपरा है। जो सदियों से चली आ रही है। डिम्मर गांव में रामलीला का आयोजन बसंत ऋतु में होली के समय में होने की ना सिर्फ प्राचीन परंपरा है बल्कि इसकी पौराणिक मान्यता भी है। यही वजह है कि रामलीला आरंभ होने की तिथि व मुहूर्त निकालने का समय भी बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि के साथ ही तय किया जाता है। इस बार 24 मार्च से श्री रामलीला का आयोजन होगा, जो 10 दिन तक चलेगा. टिहरी नरेश के राज दरबार में बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि और मुहूर्त तय किया जाता है तो डिम्मर गांव में भगवान विष्णु की पूजा के निमित्त रामलीला ईस्ट पूजन की तिथि घोषित की जाती है। प्रामाणिक इतिहास के तौर पर डिम्मर गांव को गंतव्य तक पहुंचने के लिए मार्ग के रूप में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ धाम की स्थापना के समय अपने संध्या व वंदन स्थल के रूप में चुना था। हालांकि उस वक्त डिम्मर गांव निर्जन स्थान के रूप में रहा होगा। डिम्मर गांव में बदरीनाथ धाम की तरह ही जल कुंड के ऊपर लक्ष्मी नारायण का मंदिर है। यहां बदरीनाथ धाम की ही तरह डिम्मर गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर में प्रतिदिन भगवान का अभिषेक व भोग पूजा की जाती है।
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