तेरा बनाम मेरा : क्या उत्तराखंड के सल्ट में फिर दिखेगा बीजेपी का परिवारवाद….?
राकेश चंद्र
कुलांटेश्वर। कांग्रेस पर हमेशा से ही परिवारवाद के आरोप लगते आए हैं, बीजेपी लगातार हर मंच पर कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी भी उसी परिपाटी का अनुसरण करती हुई नजर आ रही है। शुरुवात 2017 के विधानसभा चुनावों से करते है। बीजेपी ने कांग्रेसी विद्रोही यशपाल आर्य को तो टिकट दिया ही उनके पुत्र को भी विधानसभा की टिकट दिया ,दोनों चुनाव जीतने में सफल रहे। पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी गए तो उनकी बेटी ऋतु खंडूरी को टिकट मिली। लेकिन 2021 तक आते आते बीजेपी भी कांग्रेस के रास्ते को नापती नजर आ रही है।
पहला उदाहरण जून 2018 में तब देखने को मिला जब थराली के विधायक मगन लाल शाह की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मुन्नी देवी को चुनाव मैदान में उतारा और वे उपचुनाव जीतने में सफल रही। दूसरा उदाहरण तत्कालीन वित्त मंत्री प्रकाश पंत की जून 2019 में दुखद मौत के बाद दिखा जब उनकी पत्नी चंद्रा पंत को पिथौरागढ़ सीट से टिकट दी गई, जिसके बाद वे विधायक बनी। अब सल्ट विधानसभा से जीना के बडे भाई महेश जीना अपने भाई की विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी संकेत दे दिए कि अगर बीजेपी उन्हें टिकट नहीं देती है तो वह मैदान में उतर सकते हैं। 20 मार्च को प्रदेश चुनाव संचालन समिति की बैठक है जिसमें सभी टिकट की चाह रखने वालों के नाम पर पैनल में चर्चा होगी। जिसके बाद पैनल बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया जाएगा। इस बीच धन सिंह रावत और यशपाल आर्य का हवा हवाई कार्यक्रम शुरू हो गया है। देखना है कि बीजेपी जो कहती है उसे करती है या कांग्रेस की ही तरह परिवारवाद की रस्सी में बधी चली जाती है?
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