सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर की याचिका पर सुनवाई कर मामला हाईकोर्ट भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ निष्पक्ष एवं स्वतंत्र सीबीआई जांच की मांग करने वाली मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू कर दी है. शीर्ष अदालत में परमबीर की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले कि गंभीरता को हम समझते हैं. आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए और अनिल देशमुख को पक्षकार क्यों नहीं बनाया? इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम अनिल देशमुख को पक्षकार बना लेंगे.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि पूरी सरकार इस मामले में मेरे मुवक्किल के खिलाफ लगी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 2 साल से पहले नहीं हटा सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में हाईकोर्ट जाएं. मामला गंभीर है, लेकिन हाईकोर्ट क्यों नहीं जाना चाहते. यह साफ कर दें. वहीं, एक आवेदक ने कहा कि बांबे हाईकोर्ट में मामला लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यहां किसी राज्य का नहीं है, बल्कि प्रकाश सिंह “पुलिस रिफॉर्म’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का है. आरोपों को देखते हुए ये बेहद गंभीर मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर के वकील से पूछा आपने संबंधित विभाग को क्यों नहीं पक्ष बनाया है और दूसरा आप अनुच्छेद 32 के तहत क्यों याचिका दाखिल की है और आप अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? आप अपना एक मौका क्यों छोड़ रहे हैं. हम यह बार-बार कह रहे हैं मामला गंभीर है जिसमें आप सीधे तौर पर प्रभावित हैं. मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिका में तमाम ऐसे साक्ष्य दिए गए हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट भेज दिया है और कहा है कि इस पर हाइकोर्ट जल्द सुनवाई कर ले.
यह देश पर असर डालने वाला मसलाः मुकुल रोहतगी
मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह देश पर असर डालने वाला मसला है. एंटीलिया विस्फोटक कांड की जांच NIA कर रही है. एक और IPS रश्मि शुक्ला देशमुख पर ट्रांसफर/पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुकी है. कोर्ट ने कहा कि दिक्कत यह है कि प्रकाश सिंह (पुलिस सुधार) मामले में हमारे फैसले को कोई राज्य लागू नहीं कर रहा है.
परमबीर सिंह ने खुद का ट्रांसफर बताया ‘गैरकानूनी’
सिंह, 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने याचिका के जरिए न्यायालय से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को ‘मनमाना’ और ‘गैरकानूनी’ होने का आरोप लगाते हुए इस आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया था. सिंह ने एक अंतरिम राहत के तौर पर अपने तबादला आदेश पर रोक लगाने और राज्य सरकार, केंद्र तथा सीबीआई को देशमुख के आवास की सीसीटीवी फुटेज फौरन कब्जे में लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था.
परमबीर सिंह ने याचिका के जरिए लगाए ये आरोप
उन्होंने अपनी याचिका में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता ने साक्ष्यों को नष्ट कर दिए जाने से पहले, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के कदाचार की पूर्वाग्रह रहित, अप्रभावित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने का इस अदालत से अनुरोध करते हुए रिट अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया है. देशमुख ने अपने आवास पर फरवरी 2021 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई, मुंबई के सचिन वाजे और समाज सेवा शाखा, मुंबई के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का लक्ष्य दिया था. साथ ही, विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं अन्य स्रोतों से भी उगाही करने का निर्देश दिया था.’’
परमबीर सिंह ने एंटीलिया कांड का भी किया जिक्र
सिंह ने कहा कि इस बारे में विश्वसनीय जानकारी है कि टेलीफोन बातचीत की निगरानी के आधार पर पदस्थापना/तबादला में देशमुख के कदाचार को 24-25 अगस्त 2020 को राज्य खुफिया विभाग की खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में लाया था, जिन्होंने इससे अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, महाराष्ट्र सरकार को अवगत कराया था. इसके बाद 17 मार्च को महाराष्ट्र सरकार की एक अधिसूचना के जरिए उनका मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से होम गार्ड विभाग में मनमाने और गैरकानूनी तरीके से तबादला कर दिया गया, जबकि उन्होंने उस पद पर दो साल का न्यूनतम निधार्रित कार्यकाल भी पूरा नहीं किया था. सिंह ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास 25 फरवरी को एक संदिग्ध कार मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले की जांच अब एनएआई कर रही है. वाहन से जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद हुई थीं.
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