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तीसरा विकल्प उत्तराखंड के गाँव की दूर करेगा समस्याएं – बिजली पानी और सड़क पर होगा जन आंदोलन – भावना पांडे

तीसरा विकल्प उत्तराखंड के गाँव की दूर करेगा समस्याएं – बिजली पानी और सड़क पर होगा जन आंदोलन – भावना पांडे

जिस प्रदेश में गंगा का मायका हो … जहाँ नदियों का बेहिसाब पानी बहता हो  देवभूमि में ग्रामीणों  पानी मयस्सर न हो तो हैरानी होती है। मीडिया में लगातार ऐसी खबरे आती रहती है की पहाड़ के दुर्गम  पानी से महरूम हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर गांवों के हाल भी आज अजब-गजब हैं। पेयजल संकट के चलते परेशान एक ऐसे ही गांव की हकीकत हम आपको बता रहे हैं जो बसा है अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाइवे पर …. जहां गर्मी शुरू होने के साथ ही पेयजल संकट इतना बढ़ जाता है कि पशुपालक अपने पशुओं को ही बेचने को मज़बूर हो जाते हैं । यानि उन पर रोजी रोटी के साथ जीवन जीना भी बेहद मुश्किल हो जाता है वहां अब तीसरा विकल्प की संयोजक और समाजसेवी भावना पांडे की नज़र पहुँच रही है ,जल्द गांव का दौरा कर ग्रामीदों को स्थाई समाधान देने की बात कही है। 

दरअसल उत्तराखंड में सरकारें कितना भी दावा करें लेकिन सच्चाई तो यही है कि पहाड़ों के सुदूर गांवों में पेयजल संकट  आज भी बड़ी समस्या बनी हुई है। समुचित पेयजल आपूर्ति न होने से गांव के लोग सुदूर प्राकृतिक जल स्रोतों की ओर रुख कर रहे हैं। कई किलोमीटर दूर से सिर पर पानी ढोना मजबूरी बन चुका है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे से सटे रामगढ़ ब्लॉक के डीना गांव के लोगों की ज़िंदगी भी लम्बे समय से हलकान है लेकिन समस्या का कोई समाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा है। यहां पर पेयजल संकट से ग्रामीण इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें कई  किलोमीटर दूर प्राकृतिक जल स्रोत से पानी ढोना पड़ता है।

 

इस गांव में करीब पंद्रह परिवार रहते हैं पर गर्मियों में बूंद बूंद पानी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों की माने तो हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि मवेशियों को बेचना मजबूरी हो जाती है। खुद के लिए पानी को तरसना पड़ता है ऐसे में मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं हो पाती और उनको बेचना ही मजबूरी हो जाती है। गर्मी निपटने के बाद गांव में पशुपालन का काम फिर शुरू होता है। गांव के लोगों की  माने तो अगर उन्हें पेयजल की उचित व्यवस्था मिल जाए तो उनकी ज़िंदगी सुधर सकती है और उन्हें मज़बूरन अपने पशुओं को नहीं बेचना पडेगा।

 

अब इन ग्रामीदों की पुकार भले ही सियासी पार्टियों और मौजूदा सरकार तक भले न पहुंची हो लेकिन तीसरा विकल्प की संयोजक और उत्तराखंड की राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने इनकी आवाज़ सुनी है और जल्द इनकी आवाज़ विभाग तक पहुंचा कर स्थाई समाधान देने की बात कही है। इसके साथ ही जल्द समाजसेवी भावना पांडे इस तरह के तमाम परेशान अभाव से जूझ रहे पहाड़ के गांवों का दौरा करेंगी और जनजागरूकता शुरू करने के लिए देवभूमि बचाओ यात्रा का भी आगाज़ करेंगी जिसमें उन्हें भारी समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है 

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