ठेका प्रथा को समाप्त करने की मांग, निगम कर्मियों ने तहसील में किया प्रर्दशन
कोटद्वार। देवभूमि उत्तराखण्ड सफाई कर्मचारी संघ से जुड़े सफाई कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए तहसील परिसर में प्रदर्शन किया। संघ के पदाधिकारियों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उत्तराखण्ड राज्य में स्थानीय निकायों सहित चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज व शैक्षिक संस्थानों आदि से सफाई कार्य से ठेका प्रथा पूर्ण से समाप्त करते हुए वर्ष 1960 से बंद सफाई कर्मचारियों की भर्ती प्रारंभ करने एवं पूर्व से कार्य कर रहे उक्त विभागों में संविदा मोहल्ला समिति, उपनल व आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की।सोमवार को संघ के अध्यक्ष शशि के नेतृत्व में कर्मचारियों ने तहसील परिसर में प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शशि ने कहा कि सफाई कर्मचारी पिछले कई सालों से अपनी समस्याओं के निराकण की मांग कर रहे है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश पनप रहा है। प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण योजना स्वच्छ भारत मिशन के नायक सफाई कर्मचारी की प्रदेश सरकार द्वारा अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन की स्थिति में सफाई कर्मचारी बिना किसी सुरक्षा उपकरण, बिना किसी पॉलिसी के अपने जीवन को दांव पर लगाकर देश और प्रदेश में कोरोना योद्धा के रूप में डटा रहा, लेकिन प्रोत्साहन के रूप में सफाई कर्मचारियों को मात्र ठेका प्रथा जैसा काला कानून ही मिला। संघ द्वारा 20 जनवरी 2021 को हरिद्वार में आयोजित प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश के सफाई कर्मचारियों की समस्याओं की अनदेखी व संघ के पूर्व में दिए मांग पत्रों पर कार्यवाही न होने पर रोष व्यक्त किया गया।
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