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उत्तराखंड: …मीडिया चिल्लाता रहा, विरोधी षडयंत्र बुनते रहे, कर्मकार अपना कर्तव्य निभाता चला गया….

उत्तराखंड: …मीडिया चिल्लाता रहा, विरोधी षडयंत्र बुनते रहे, कर्मकार अपना कर्तव्य निभाता चला गया….

देहरादून । इसे कहते हैं जज्बा, इसे कहते हैं जनसेवा, इसे कहते हैं राज्यसेवा, इसे कहते हैं कर्म। ये सारी बातें एक राजनेता के लिए हो सकती हैं क्या? हां या ना? नाम है त्रिवेंद्र सिंह रावत। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लेकर तमाम मीडिया चैनल्स में खबरें चल रही हैं। खबरें… त्रिवेंद्र सिंह को बदलने की कोशिश, उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन कुछ घंटों में, सीएम के दावेदार अलां-फलां, आदि आदि…. इन खबरों से कोई राजनेता तो क्या कोई आम आदमी भी गश खा कर गिर जाए। लेकिन त्रिंवेंद्र रावत जिस तरह हमेशा अडिग रहे और अपने कर्म को निभाते रहे, उन्होंने ऐसा ही किया।

महिला दिवस पर उनका पूर्व निर्धारित कार्यक्रम राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में था। उनको वहां कई महिला समूहों को संबोधित करना था। राजनीति में कई तरह के काम होते हैं और कई तरह की जिम्मेदारियां। त्रिवेंद्र सिंह रावत को देश की राजधानी के लिए रवाना होना पड़ा। क्योंकि वहां शीर्ष नेतृत्व ने उनको चर्चा के लिए बुलाया। त्रिवेंद्र सिंह ने दिल्ली रवानगी की और इस दौरान गैरसैंण में एकत्र हुए महिला समूहों को फोन से संबोधित किया। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने महिला समूहों के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दस-दस हजार और महिला मंगल दलों के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को 15-15 हज़ार रुपए मदद दी जाएगी।

जय हो त्रिवेंद्र

बातें कम, काम ज्यादा…

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