विधायक दिलीप सिंह रावत द्वारा क्षेत्रीय जनता की आवाज दबाई जा रही हैं। देवेश आदमी
रिखणीखाल में सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने की नाकाम कोशिश।
ब्यूरोक्रेट्स का दमन करना विधायक दिलीप सिंह रावत के लिए लोकतंत्र हैं
सिर्फ देवेश आदमी पर ही क्यों कार्यवाही हो रही हैं। जब कि उत्तराखंड के अनेकों क्षेत्र से डामरीकरण
अनियमितता के वीडियो सोशलमीडिया पर कुछ दिन में वायरल हुई हैं।
क्या कहा देवेश आदमी ने पूरे प्रकरण पर
मेरे द्वारा 15 मार्च 2021 को एक वीडियो सोशलमीडिया पर पोस्ट किया गया जिस में ऋषिकेश बैराज रथुवा ढाब नैनीडांडा रिखणीखाल मार्ग पर चल रहे डामरीकरण की गुणवत्ता की जांच की गई। यह वीडियो माननीय नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्रीमान तीरथ सिंह रावत ने निर्णय लिया और दुगड्डा प्रांतीय खण्ड लोकनिर्माण विभाग के एक JE, AE को निलंबित किया गया।
इस मामले ने उत्तराखंड में तूल पकड़ा और उत्तराखंड के अनेकों क्षेत्र से सड़क डामरीकरण के अनेकों ऐसे वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हुए जिन में सड़क डामरीकरण के घटिया कार्य का उजागर हुआ। इस का विरोध पर्वतीय ठेकेदार संघ, उत्तराखंड इंजीनियर संगठन ने किया आम जनता ने मुख्यमंत्री के इस कदम को जनहित में स्वीकार किया। इस से उत्तराखंड के अनेकों जागरूक लोगों ने व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकारी कामकाज का आंकल किया। लोगों में एक चेतना का प्रवाह हुआ लोगों को हिम्मत मिली कि कोई सुनने वाला कुर्सी पर विराजमान हैं अब प्रदेश के अच्छे दिन लौट रहे हैं।
हताशा तब हुई जब लैंसडोन विधानसभा विधायक माननीय महंत दिलीप सिंह रावत का वीडियो प्रसारित हुआ जिस में के निर्माण कार्य को सही बता रहे हैं।
इस वीडियो पर मेरा तर्क यह हैं कि क्या आम जनता सवाल भी नही उठाए क्या लोकतांत्रिक राष्ट्र में जनता की आवाज को दबाया जा रहा हैं क्या यह ब्यूरोक्रेसी का दमन नही हैं? माननीय विधायक से आम जनता सवाल पूछेगी तो उसे जेल में डाला जाएगा ? मैं एक आम व्यक्ति हूँ और मेरा लोकतांत्रिक अधिकार हैं कि मैं अपने बुद्धि विवेक का उपयोग समाज हित में करूँ। यदिल सामाजिक कार्यकर्ता होना पाप हैं तो विधायक जी कार्य सही करें। यदि यह मेरी गलती है तो मैं इस तरह की हजार गलतियां करता रहूंगा। मैं इस जनहित कार्य के लिए अनेकों बार जेल जाने के लिए तैयार हूँ। मैं विधायल जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या मैंने कहा था कि फैसला जल्दबाजी में लेना चाहिए.? क्या मैंने अभियंता की बर्खास्ती की मांग की थी.? या मैंने यह कहा कि डामरीकरण सही नही हैं मैंने सिर्फ जांच करने की मांग की थी मैंने जो देखा वह सत्य समाज के सामने सार्वजनिक पटल पर रखा था। आम व्यक्ति कौन होता हैं कि वह निर्णय ले.? यह सोचना देखना परखना विश्लेषण करना सरकारी मशीनरी का काम हैं। मेरा दायित्व सरकार की आँख नाक कान बनना था जिस का निर्वहन में शुद्ध अंतःकरण से किया हैं। यह विधायक जी की बौखलाहट हैं जो अपने निर्वाचित क्षेत्र में किसी विरोधी का पनपना पसंद नही कर रहे। विधायक द्वारा आम जनता का गला घोंटा जा रहा हैं। सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का दमन किया जा रहा हैं। रिखणीखाल क्षेत्र से पहली बार आवाज उठी हैं। तो छटपटाहट जायज हैं वर्चस्ववादी सोच के कारण जनता के पैसों की लूट हो रही हैं।
विधायक जी वीडियो में कह रहे हैं कि जिस जगह यह डामर किया जा रहा था वहां आग लगाना मुश्किल हो रहा हैं। मगर टाइगर रिजर्व की जंगलों में तो आजकल आग लग रही हैं पूरा पहाड़ जल रहा हैं और विधायक जी से ज्वलनशील तारकोल गर्म नही हो रहा हैं। जब डामर के लिए मशीन काम नही कर रहे हैं तो ऐसे नोसिखिया ठेकेदार को क्यों ठेका दिया। आधुनिक युग में -5 डिर्गी सेल्सियस पर डामर हो रहा हैं तो रिखणीखाल की सीमा पर 25 डिग्री तापमान पर काम करने में क्यों दिकते आरही हैं। उत्तराखंड के जंगल धुंधु कर जल रहे हैं और ठेकेदारों के तेल पर आग नही लग रही हैं। डामर की मोटाई डामर में 10mm व 6mm के रोड़ी साफ दिख रही हैं वीडियो में दूर दूर तक कोई कर्मचारी काम करते नही दिख रहा हैं। तो कैसे कह सकते हैं कि मेरे द्वारा बनाया गया वीडियो वेबनियाद हैं। सिर्फ कार्यवाही मुझ पर क्यों हो रही हैं? जब कि उत्तराखंड के अनेकों क्षेत्र से डामरीकरण अनियमितता के वीडियो जारी हो रही हैं 1 हफ्ते में अनेकों तादात में सोशलमीडिया पर वीडियो वायरल हुए पर कार्यवाही सिर्फ मेरे पर क्यो? सवाल अपने आप में एक जवाब हैं। घूसखोरी को पनाह देने वाले लोग नही चाहते कि जनता जागरूक हो। भृष्टाचारी नही चाहते कि कोई उन से सवाल करे। मैंने ठान लिया है भले।मैं अकेला हूँ कमजरो हूँ पर लड़ूंगा हारूँगा जीतूंगा मरते दम तक लडूंगा।
मैं इस लड़ाई को आखरी सांस तक लड़ूंगा। यदि मेरे द्वारा बनाया गया वीडियो झूठा हैं तो मैं जेल जाने के लिए तैयार हूँ। मगर कभी भी झुकूंगा नही। पुनः जेल से छूट कर इस तरह के वीडियो बनाऊंगा।
देवेश आदमी
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