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बॉम्बे हाई कोर्ट ने परमबीर सिंह से पूछा FIR के बिना CBI जांच कैसे संभव

बॉम्बे हाई कोर्ट ने परमबीर सिंह से पूछा FIR के बिना CBI जांच कैसे संभव

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे वसूली के आरोप पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को निचली अदालत में जाने की सलाह दी है. इससे पहले सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा एक भी उदाहरण बताइए, जहां बिना FIR दर्ज हुए कोर्ट ने CBI जांच का आदेश दिया हो. इसलिए पहले पुलिस FIR दर्ज करे तभी कोर्ट CBI जांच का आदेश दे सकती है. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इस मुद्दे पर CBI जांच की मांग की है.

इस बीच परमबीर सिंह के वकील विक्रम नानकानी ने पूर्व कमिश्नर इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला द्वारा पुलिस महानिदेशक को सौंपी गई रिपोर्ट का जिक्र भी किया, जिसके तहत पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर बड़े रैकेट का खुलासा किया गया है. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

‘पुलिस अधिकारी, मंत्री, नेता कानून से ऊपर हैं क्या?’

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा कि आप एक पुलिस अधिकारी हैं तो आपके लिए कानून का पालन जरूरी नहीं है क्या? पुलिस अधिकारी, मंत्री और राजनेता क्या कानून से ऊपर हैं? अपने आप को कानून से ऊपर समझने की भूल ना करें.

सुनवाई से पहले उच्चस्तरीय जांच समिति की घोषणा

इस सुनवाई से पहले महाराष्ट्र सरकार ने अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा की है. इस एक सदस्यीय जांच समिति के प्रमुख हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कैलाश चंदीवाल होंगे. उनकी निगरानी में यह आयोग 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मामले में जांच कराने का फैसला खुद किया था. इसकी जानकारी अनिल देशमुख ने ही दी थी.

परमबीर सिंह की याचिका में क्या है?

परमबीर सिंह का आरोप है कि गृहमंत्री देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी को मुंबई के रेस्टॉरेंट्स और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का टारगेट दिया था. उन्होंने आग्रह किया है कि अनिल देशमुख के घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज कोर्ट जल्दी जब्त करवा कर उसकी जांच करवाए वरना सबूत नष्ट करने की कोशिश की जा सकती है. अनिल देशमुख ने इस संबंध में फरवरी में अपने आवास में मीटिंग की थी, जिसमें अनिल देशमुख से मिलने सचिन वाजे आया था.

इसके अलावा उनका आरोप है कि 24-25 अगस्त को राज्य की इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने DGP को देशमुख की ओर से ट्रांसफर-पोस्टिंग में किए जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी. उन्होंने यह जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी, लेकिन इसपर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोर्ट इस मामले की भी CBI जांच करवाए.

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि दादरा-नागर हवेली सांसद की मुंबई में हुई आत्महत्या के मामले में गृहमंत्री ने उन पर दबाव बनाया था कि वे BJP नेता का नाम इस मामले में लाएं. इसके अलावा उन्होंने अपने ट्रांसफर को भी चुनौती दी है और उन्हें फिर से मुंबई पुलिस कमिश्नर के तौर पर बहाली की मांग की है. इसकी सुनवाई करते हुए बुधवार को हाईकोर्ट ने निचली अदालत में जाने की सलाह दे दी है.

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