सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में होगी मां की आराधना
देहरादून। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 13 अप्रैल से होगी। जबकि 21 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। इस बार चैत्र नवरात्र कई शुभ संयोगों से युक्त रहेंगे। नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ और अमृत सिद्धि के शुभ योग में होगी। साथ ही नौ दिनों तक और भी कई शुभ योग विद्यमान रहेंगे। उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगांई ने बताया कि चैत्र नवरात्र में घट स्थापना करने का शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल को सुबह छह बजे से 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। जबकि 10 बजकर 49 मिनट से लेकर 1 बजकर 15 मिनट तक अभिजित मुहूर्त रहेगा। ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्रि कई खास संयोगों से युक्त होंगे। चैत्र नवरात्रि को साधना के लिए विशेष फलदायी माना गया है। नौ दिनों तक श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना करेंगे और व्रत रखेंगे। इस बार ग्रहों, नक्षत्रों के योग से दो प्रकट, दो गुप्त होते हैं। वासंतीय योग विद्यमान रहेंगे। 21 अप्रैल को रामनवमी के साथ ही नवरात्रि का समापन होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि चैत्र नवरात्रि में दुर्गा मंदिरों में अखंड ज्योति जलाई जाएगी। प्रशासन की ओर से जारी होने वाली गाइडलाइन के तहत ही धार्मिक अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा की साधना और आराधना होगी। आराघर चैक समीम श्री लक्ष्मी नारायण पंचमुखी सिंदूरीय हुनमान मंदिर, गढ़ी कैंट स्थित नव दुर्गा मंदिर, जाखन स्थित प्राचीन शिव मंदिर, टपकेश्वर महादेव मंदिर, राजपुर स्थित सांई मंदिर के पुजारियों ने बताया कि मंदिरों में अखंड ज्योति जलाकर माता रानी की साधना की जाएगी।
घटस्थापना
नवरात्रि के प्रथम दिन ग्रहों के शुभ संयोग से विशेष योग का निर्माण हो रहा है। प्रतिपदा की तिथि में विष्कुंभ और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन विष्कुंभ योग दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग का आरंभ होगा। करण बव सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक, उसके बाद बालव रात 11 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
तिथि- 13 अप्रैल 2021, दिन- मंगलवार
शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 15 मिनट
दूसरा शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के लिए पूजन सामग्री
चैड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, कलश, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), पवित्र स्थान की मिट्टी, जल (संभव हो तो गंगाजल), कलावाध्मौली, आम या अशोक के पत्ते (पल्लव), छिलकेध्जटा वाला, नारियल, सुपारी, अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला, लाल कपड़ा, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा इत्यादि।
नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि
सबसे पहले मिट्टी को चैड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं। अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें। आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें। नारियल में कलावा लपेटे। उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें। घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करते हैं।
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