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इंडियन एयरफोर्स करने वाली है सबसे खतरनाक हथियार का टेस्‍ट !

इंडियन एयरफोर्स करने वाली है सबसे खतरनाक हथियार का टेस्‍ट !

भारतीय वायुसेना (आईएएफ) 14 और 16 अप्रैल को अंडमान में ब्रह्मोस मिसाइल का टेस्‍ट करने वाली है. हिंद महासागर क्षेत्र में होने वाले इस टेस्‍ट को काफी अहम करार दिया जा रहा है. इस बाबत नोटिस टू एयरमैन (NOTAM) जारी कर दिया गया है. इस नोटिस के तहत जिस भाषा का प्रयोग होता है वो आम भाषा नहीं होती है बल्कि खास कैरेक्‍टर्स वाली होती है ताकि कम्‍युनिकेशंस को और प्रभावी बनाया जा सके.

क्‍या होता है NOTAM

नौ-टैम नोटिस यानी फ्लाइट ऑपरेशंस से जुड़े लोगों को दी जाने वाली अहम और जरूरी जानकारी. किसी भी टेस्‍ट या जरूरी प्रोजेक्‍ट से पहले एडवांस में यह जानकारी इश्‍यू की जाती है. लेकिन बहुत पहले से इसे जारी नहीं किया जाता है. इसके तहत नेशनल एयरस्‍पेस सिस्‍टम (NAS) को असाधारण करार दिया जाता है. यह नोटिस रियल टाइम के आधार पर जारी होता है. इस नोटिस के तहत जिस भाषा का प्रयोग होता है वो आम भाषा नहीं होती है बल्कि खास कैरेक्‍टर्स वाली होती है ताकि कम्‍युनिकेशंस को और प्रभावी बनाया जा सके.

सिर्फ कुछ सेकेंड्स में दुश्‍मन ढेर

ब्रह्मोस दुनिया की इकलौती मिसाइल है जिसे जमीन, हवा और पानी तीनों ही जगहों से लॉन्‍च किया जा सकता है. ब्रह्मोस-2 को इस समय भारत के सबसे खतरनाक हथियारों में रखा गया है. 9800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करने वाली यह मिसाइल 1000 किलोमीटर की दूरी पर बैठे दुश्‍मन को कुछ सेकेंड्स में ही खत्‍म कर सकती है.

ब्रह्मोस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी वॉरशिप, पनडुब्‍बी, फाइटर जेट या फिर मोबाइल लॉन्‍चर की मदद से आसानी से फायर की जा सकती है. ब्रह्मोस-2 स्‍पीड के मामले में अमेरिकी सेना की मिसाइल टॉमहॉक से चार गुना तेज है.

भारत और रूस का ज्‍वॉइन्‍ट वेंचर

इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है. इसलिए ब्रह्मोस का नाम दोनों देशों की नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस को मोस्‍कवा से मिलकर बना है. यह मिसाइल रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की टेक्‍नोलॉजी पर डेवलप की गई है.

किसी वॉरशिप और जमीन से लांच होने पर यह मिसाइल 200 किलो वारॅहेड्स ले जा सकती है. वहीं अगर इसे किसी फाइटर जेट से लॉन्‍च किया जाए तो असानी से 300 किलो के हथियार ले जाने में सक्षम है. ब्रह्मोस-2 को इंटरसेप्‍ट करना बहुत मुश्किल है.

ब्रह्मोस को पहली बार 12 जून 2001 में इंटीग्रेटेड टेस्‍ट रेंज से लांच किया गया. 12 जून 2004 को इस मिसाइल को एक मोबाइल लांचर के जरिए लांच किया गया. ब्रह्मोस इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के फाइटर जेट सुखोई में भी फिट हो गई है. इसके साथ ही आईएएफ और ज्‍यादा खतरनाक हो गई है.

ब्रह्मोस का नया वर्जन और ज्‍यादा खतरनाक

सिर्फ इतना ही नहीं भारत और रूस अब सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नए वर्जन पर भी काम कर रहे हैं. नई ब्रह्मोस मिसाइल दुश्मन देश के एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्‍टम यानी अवाक्स के एयरक्राफ्ट भी ढेर कर सकेगी.

अवाक्स सिस्टम को उसके साइज और वजन के हिसाब से हैवी और मीडियम रेंज के एयरक्राफ्ट में फिट किया जाता है. यह सिस्‍टम दरअसल सर्विलांस के काम आता है. इसकी मदद से एयरक्राफ्ट के अंदर बैठे ऑपरेटर्स एक निश्चित दूरी तक फाइटर जेट्स और मिसाइलों पर नजर रखते हैं.

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