हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में सोमवार को चारों मढ़ियों (चार, सोलह, तेरह और चैदह) में दीक्षित होने वाले नागाओं का मुंडन संस्कार हुआ। दुरूखहरण हनुमान मंदिर के निकट यह प्रक्रिया हुई। मुंडन के बाद नागाओं को अलकनंदा घाट पर गंगा स्नान कराया गया और सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण कर कराया गया।
जूना अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि पंडितों द्वारा नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म संपन्न कराया गया। करीब एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षित किया गया। संन्यासियों ने ब्राहण पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच स्नान करते हुए जीते जी अपना श्राद्व तपर्ण किया।
इसके बाद वापस धर्मध्वजा की तृणियों के नीचे बिरजा होम में संन्यासियों ने भाग लिया। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र दिया गया। प्रेयस मंत्र के बाद संन्यासी पुनरू गंगा स्नान करने गए। जहां पर उनका शिखा विच्छेदन किया गया।
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