जम्मू कश्मीर में सेना की गाड़ियों पर क्यों बदल गया झंडो का रंग
इंडियन आर्मी ने जम्मू कश्मीर में जनता के बीच सकारात्मक संदेश देने के मकसद से एक नई पहल की है. यहां पर सेना ने अपने कॉन्वॉय में शामिल व्हीकल्स पर लगे झंडे का रंग बदला है. सेना ने अपने झंडे का रंग लाल से नीला कर दिया है. इसी तरह से सेना ने कैंट की दीवारों को भी बदलने का मन बनाया है. सेना की तरफ से शुक्रवार को इस बात की आधिकारिक जानकारी दी गई है.
दीवारों पर होंगी युवाओं की तस्वीरें
कॉन्वॉय पर लगे झंडे का रंग जहां लाल से नीला कर दिया गया है तो अब सेना कैंट की दीवारों को कश्मीर के उन युवाओं को फोटो से रंगने वाली है जो राज्य के अचीवर्स हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल क्यू खान की तरफ से इस बारे में और विस्तार से जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि सेना के कॉन्वॉय जो कश्मीर में जवानों को एक जगह से दूसरी लोकेशन पर लेकर जाते हैं और कश्मीर से बाहर भी जाते हैं, उन पर लगे झंडे के रंग को लाल से नीला कर दिया गया है. साथ ही कैंट्स की दीवार पर कश्मीर के उन युवाओं की तस्वीरें होंगी जो बाकी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं.
जवानों के हाथ में नहीं होंगी लाठियां
ले. कर्नल खान ने इस बात की जानकारी भी दी कि जवानों के हाथों में अब लाठी नहीं होगी. बल्कि गाड़ियों को रोकने के लिए उन्हें सीटियों का प्रयोग करने की सलाह दी जाएगी. गाड़ियों पर भी कश्मीर के खूबसूरत इलाकों की फोटोग्राफ्स होंगी. इसके अलावा सेना ने अपने उन जवानों को भी सही बर्ताव करने के लिए कहा है जो काफिले के साथ चलते हैं. इन जवानों से कहा गया है कि वो अगर कहीं रुकें तो लोगों के साथ विनम्रता के साथ पेश आएं.
सेना चला रही है कई मिशन
सेना की तरफ से इस समय घाटी में कई तरह की दूसरे मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा रहा है. सेना के कई अभियान इस समय भी घाटी में सुपरहिट हैं. सेना में देश के हर हिस्से से लोग आते हैं और हर धर्म के लोगों को जगह दी जाती है. इस वजह से इसे घाटी में कुछ लोग ‘पीपुल्स आर्मी’ के तौर पर भी करार देते हैं. सेना के कई मानवीय मिशन ऐसे हैं जो घाटी के लोगों को उसके करीब ला रहे हैं. 1990 के दशक में जब घाटी में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू किया था तो उस समय सेना ने यहां के लोगों की मदद करने के बारे में सोचा था.
युवाओं को रोजगार
सेना ने 90 के दशक में ही यहां के लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने और यहां के स्थानीय लोगों को सशक्त करने के मकसद से एक विस्तृत प्रोग्राम को आगे बढ़ाया गया. सरकार की तरफ से ‘ऑपरेशन सद्भावना’ को लॉन्च किया गया. लॉन्चिंग के 30 साल बाद भी प्रोजेक्ट ऐसे लाखों कश्मीरियों को फायदा पहुंचा रहा है जो गरीब हैं या फिर सुविधाओं से वंचित हैं.
इस प्रोजेक्ट को सेना की नॉर्दन आर्मी कमांड की तरफ से संचालित किया जाता है जो जम्मू के उधमपुर में स्थित है. आज इस ऑपरेशन की वजह से सेना ने न सिर्फ कश्मीरियों के दिल में जगह बनाई है बल्कि सही मायनों में उन्हें सशक्त भी किया है. इस प्रोजेक्ट के जरिए युवाओं पर आधारित कई योजनाओं को संचालित किया जा रही है. इन युवाओं को शिक्षा, कौशल और रोजगार देकर इन्हें मुख्यधारा से जोड़े रखने की मुहिम जारी है.
हर सेक्टर के विकास पर ध्यान
केंद्र सरकार इस समय संघ शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विकास पर हर तरह से ध्यान दे रही है. कृषि सेक्टर से लेकर यहां पर निवेश को बढ़ाने के लिए कई तरह की पहल की जा रही हैं. केंद्र सरकार का ध्यान राज्य में हेल्थकेयर और सर्विस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है. इसके लिए वो राज्य के हर तबके का दिल जीतने की कोशिशों में लगी हुई है.
5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया था. इसके बाद इस राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे दो संघ शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. आर्टिकल 370 हटने के बाद से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घाटी के बॉर्डर वाले इलाकों में विकास के मकसद से 6 पुलों का उद्घाटन किया है.
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