प्रवासी बेरोजगारों को मनरेगा के तहत रोजगार देने के उपलक्ष में पूर्व राज्य मंत्री अल्मोड़ा के बिट्टू कर्नाटक ने सरकार की आंखें खोलते हुए कहा है कि सरकार तत्काल प्रभाव से उनके ज्ञापन का संज्ञान ले और इस पुनीत कार्य को करें
मनरेगा कर्मचारियों की हडताल को देखते हुये मनरेगा अधिनियम-2005 के तहत
सकारात्मक निर्णय लिये जाने के सम्बन्ध मेें बिट्टू कर्नाटक द्वारा एक ज्ञापन दिया गया जिस ज्ञापन में उनके द्वारा उल्लेेख किया गया है की प्रवाासी बेरोजगार युवाओं की रोजगार की दरकार
उपर्युक्त विषयक आपके संज्ञान में लाना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को वर्ष 2005 में अधिनियम का रूप दिया गया । किन्तु अधिनियम की अनदेखी कर जिस अनुबन्ध की शर्तो पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी वह असंवैधानिक,अन्यायपूर्ण है । नियुक्ति उपरान्त उचित वेतन/पारिश्रमिक,ग्रेड वेतन,महंगाई भत्ता,दैनिक भत्ता,यात्रा भत्ता,मेडिकल सुविधा,सेवानिवृत्ति लाभ,बीमा,ग्रेज्यूटी,बोनस,सेवा पुस्तिका तथा अन्य उचित सेवा शर्तो की उपक्षा की गयी है ।
मनरेगा एक रोजगार परक योजना है जिसके जरिये प्रवासी बन्धुओं एवं स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिया जाता है । योजना के तहत गरीब लोगों को रोजगार मिला,महिलाओं की भागीदारी बढी व महिलायें आर्थिक रूप से सुदृढ हुई , मजदूरों का पलायन रूका जिससे कृषि का स्तर बढा । देश में जब गरीबी/भुखमरी छा रही थी तब योजना में कार्यरत कर्मचारियों ने गरीबों का मनरेगा में पंजीकरण करवाकर इनका हाथ थामा,मनरेगा से जोड कर स्वयं बैंकों में जाकर निर्धनों के खाते खुलवाये तथा अशिक्षित जनता की अंगुली पकडकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में ला खडा किया साथ ही अमीरी-गरीबी के अन्तर को कम किया ।
खेद का विषय है कि सरकारों की उदासीनता,सकारात्मक पहल न किये जाने के कारण आज मनरेगा कर्मचारी 65 दिनांें से आन्दोलनरत हैं जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य ठप हो गये हैं एवं मरनेगा के कार्य व्यापक रूप से प्रभावित हो गये तथा इस कोरोना महामारी में मजदूरों की आजिविका का संकट पैदा हो गया है ।
अतः राज्य/जनहित में निम्न बिन्दुओं पर गम्भीरता से विचार किया जाय जो बिन्दु केन्द्र सरकार से सम्बन्धित है उनका निस्तारण केन्द्र सरकार से करवाकर इनके हित में आदेश पारित कर निर्गत किया जाय ताकि मनरेगा के कार्य कुशलतापूर्वक व तीब्र गति से प्रारम्भ हो सकें-
1-मनरेगा कार्मिकों की नियुक्ति आउटसोर्सिग कम्पनी से न कराकर विभागीय तौर पर की जाय क्योंकि आउटसोर्सिंग कम्पनी द्वारा कार्मिकों का जो शोषण किया जाता है वह छिपा हुआ नहीं है तथा मनरेगा कार्मिकों को ग्रामीण विकास विभाग का कर्मचारी नियुक्त किया जाय ।
2-मनरेगा कार्मिकों को ग्राम्य व पंचायतीराज विभाग में समायोजित किया जाय अथवा नियमित नियुक्ति दी जाय
3-श्रमिकों को बिना भत्ते दिये दूसरे विकास खण्डों/न्याय पंचायतों में स्थानान्तरित न किया जाय तथा जिलों से हटाये गये कार्मिकों की पुनः बहाली की जाय ।
4-कार्मिकों को जब तक स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती तब तक अन्य विभागों में नियुक्ति में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाय ।
5-कार्मिकों को ग्रेड-पे,महंगाई भत्ता,यात्रा भत्ता,बोनस,मेडिकल सुविधा,दैनिक भत्ता,ग्रेज्यूटी तथा सम्मानजनक पदनाम दिया जाय तथा कार्मिकों का 5.00 लाख का बीमा किया जाय ।
6-कोरोना महामारी तथा हडताल के कारण कार्मिकों के सम्मुख आर्थिक संकट पैदा हो गया है अतः राजकीय कर्मचारियों की भांति हडताल अवधि का पूर्ण वेतन/मानदेय भुगतान किया जाय,इसमें किसी प्रकार की कटौती स्वीकार्य नहीं होगी ।
अतः आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त बिन्दुओं पर तत्काल सकारात्मक निर्णय लेने की कृपा करें अन्यथा विवश होकर मनरेगा कार्मिकों के हित में स्थानीय नागरिकों का सहयोग प्राप्त कर ग्राम स्तर तक आन्दोलनात्मक कार्यवाही के लिये बाध्य होना पडेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी सरकार व शासन की होगी ।
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