देहरादून। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी देहरादून में कोविड कर्फ्यू लगाया गया है। ऐसे में जहां बाजार बंद होने से शहर के स्थानीय व्यापारियों को खासा नुकसान हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ बात नर्सरी संचालकों की करें तो संचालकों को भी प्रति माह लाखों का नुकसान हो रहा है।
दरअसल, शहर की तमाम नर्सरियों में इन दिनों तरह-तरह की सीजनल फूलों की पौध तैयार हैं। लेकिन कोविड कर्फ्यू के चलते लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे में खरीदार न मिलने से यह पौधे नर्सरियों में पड़े पड़े ही नष्ट हो रहे हैं। नर्सरी संचालक मनीष कुमार बताते हैं कि फरवरी माह से फ्लावरिंग सीजन शुरू हो जाता है। ऐसे में उनकी नर्सरी में सीजनल फूलों के 50 हजार पौधे तैयार हैं। लेकिन ग्राहकों के न पहुंच पाने से यह पौध नष्ट हो रहे हैं। ऐसे में प्रति माह उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं बात खर्चों की करें तो प्रति माह उन्हें नर्सरी का बिजली का बिल, पानी का बिल और कर्मचारियों का वेतन देना पड़ रहा है। गौरतलब है कि, देहरादून शहर में लगभग 30 रजिस्टर्ड नर्सरी संचालित हो रही हैं। वहीं इसके अलावा 300 के आसपास छोटी-बड़ी अनरजिस्टर्ड नर्सरियां हैं। लेकिन वर्तमान में कोविड कर्फ्यू के चलते शहर की सभी नर्सरी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रही हैं। इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन उत्तराखंड के महासचिव राम दत्त का कहना है कि उनकी खुद की नर्सरी में भी कई सीजनल फूलों के तैयार पौध नष्ट हो चुकी हैं। जिससे उन्हें लाखों का नुकसान हो चुका है। ऐसे में इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष से संपर्क कर उन्होंने प्रदेश के नर्सरी संचालकों की परेशानियों से रूबरू कराया है। वहीं जल्द ही वह प्रदेश के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से भी मुलाकात कर प्रदेश के नर्सरी संचालकों को कुछ राहत देने की गुहार लगाएंगे। राम दत्त बताते हैं कि वह चाहते हैं कि कोविड कर्फ्यू के इस दौर मे नर्सरी संचालकों को हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार बिजली-पानी के बिल में कुछ राहत दें. जिससे उन्हें राहत मिल सकें।
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