देहरादून। देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच ही तीसरी लहर को लेकर भविष्यवाणी की जाने लगी है। यहां तक कि अब कोर्ट ने भी सरकार को आने वाली तीसरी लहर के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। इन्हीं परिस्थितियों के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने आने वाले तीसरी लहर को लेकर भविष्यवाणी की है। डॉ. बिष्ट ने वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं। उधर बाल रोग चिकित्सक भी बच्चों को ज्यादा सुरक्षित रखने की सलाह दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट का कहना है कि उन्हें लगता है वैज्ञानिकों द्वारा संक्रमण को लेकर आकलन ठीक से नहीं किया गया। दरअसल, रणनीति में बच्चों और बुजुर्गों को आइसोलेट करते हुए पहले घर से बाहर निकलने को मजबूर युवाओं को वैक्सीनेशन लगाया जाना चाहिए था। एनएस बिष्ट ने कहा कि तीसरी लहर तक बुजुर्गों को लगाई गई वैक्सीन की समय सीमा भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में उन्हें एक अतिरिक्त बूस्टर लगाए जाने की जरूरत होगी। डॉक्टर एनएस बिष्ट के मुताबिक जब तीसरी लहर देश में आएगी, तो उसके सीधे निशाने पर बच्चे और बुजुर्ग होंगे। ऐसे में बच्चों के लिए भी वैक्सीन की जल्द से जल्द व्यवस्था की जानी जरूरी है। पहली लहर के दौरान सबसे ज्यादा प्रभाव बुजुर्ग और बीमार लोगों पर ही दिखाई दिया था। लेकिन अब दूसरी लहर में युवाओं को भी कोरोना से भी ज्यादा नुकसान हो रहा है। यही नहीं मौत के आंकड़े में युवाओं की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में अब अगली लहर बच्चों के लिए सबसे नुकसान दायक बताई जा रही है। बाल रोग चिकित्सक डॉक्टर विशाल कौशिक का कहना है कि तीसरी लहर की भविष्यवाणी में अब चिंता बच्चों की है, क्योंकि दूसरी लहर के दौरान भी बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। अब तीसरी लहर के दौरान जब कोविड वैक्सीन के टीकों से युवाओं को भी बचाने की कोशिश की जाएगी, तो इस दौरान सबसे कमजोर स्थिति में बच्चे ही होंगे। डॉ. विशाल कौशिक कहते हैं कि देश और दुनिया में अभी बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसे में वायरस का खतरा बच्चों को सबसे ज्यादा बढ़ गया है। इसके लिए एहतियात सबसे ज्यादा बरतने की जरूरत है।
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