एंटीलिया मामले में एक फोन कॉल ने प्रदीप शर्मा को पहुंचाया सलाखों के पीछे
NIA मनसुख हिरेन मर्डर केस (Mansukh Hiren Murder Case) को सॉल्व करने के काफी करीब पहुंच गई है. एनएआईए (NIA) कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा तक पहुंच गई. अब पुलिस ये जानने की कोशिश में लगी है कि आखिर इस पूरी घटना का सूत्रधार कौन है. सिर्फ एक कॉल ने प्रदीप शर्मा (Pradeep Sharma) को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.
दरअसल मनसुख हिरेन के मर्डर के बाद एक आरोपी ने प्रदीप शर्मा और सचिन वाज़े (Sachin Waje) को कॉल कर काम हो जाने की जानकारी दी थी. इसी एक फ़ोन कॉल ने प्रदीप शर्मा को पुलिस की गिरफ्त में पहुंचा दिया. पहले किसी को भी प्रदीप शर्मा पर शक तक नहीं था वह साफ बचकर निकल रहे थे. लेकिन एक आरोपी का सचिन वाजे के साथ उन्हें फोन करना NIA जांच में सबसे बड़ा सबूत बन गया. जांच एजेंसी को किसी कॉल के आधार पर प्रदीप शर्मा पर शक हुआ और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
वहीं जांच एजेंसी को एक सिम कार्ड भी मिला था. इसी सिम से सुनील माने ने मनसुख हिरेन को कॉल किया था. उस सिम का लोकेशन भी प्रदीप शर्मा के घर के पास मिला था. यही वजह थी कि प्रदीप शर्मा लगातार जांच एजेंसी की रडार पर थे. हालही में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने खुलासा किया है कि कांदीवली क्राइम ब्रांच के सीनियर इंस्पेक्टर सुनील माने 4 मार्च को सफेद रंग की फॉक्स वैगन कार से थाने के लिए निकले. लेकिन पुलिस को गुमराह करने के लिए उन्होंने अपना फोन ऑफिस में ही छोड़ दिया था.
वहीं सचिन वाजे लोकल ट्रेन पकड़कर कलवा स्टेशन पहुंच गया था. माने ने वहां पहुंचकर वाजे को पिक किया था. ये बात वहां के सीसीटीवी फुटेज से सामने आई है. सचिन वाजे ने वहीं से कई सफेद रंग के रुमाल भी लिए थे. ये रुमाल मनसुख के मुंह में ठुंसे हुए थे. बताय़ा जा रहा है कि सुनील माने ने ही तावड़े बनकर मनसुख को माजीवाड़ा जंक्शन पर मिलने के लिए बुलाया था. जह वह वहां पर पहुंचा तो वाजे और माने पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे. मनसुख वहां पहुंचकर उनकी कार में बैठ गया. सुनील माने कार चला रहा था वहीं वाजे उसके बगल की सीट पर बैठा हुआ था. वहीं मनसुख पीछे सीट पर बैठा हुआ था.
टवेरा में बैठे 5 लोगों ने किया मनसुख का मर्डर
वो लोग मनसुख को रात साढ़े नौ बजे घोडबंदर रोड पर गायमुख के पास लेकर पहुंचे, वहां पर 5 लोग टवेरा कार में पहले से ही मनसुख का इंतजार कर रहे थे. वाजे और माने ने बातचीत के लिए मनसुख को उतारकर टवेरा कार में बैठा दिया. वाजे से अच्छी जान-पहचान होने की वजह से मनसुख को उस पर बिल्कुल भी शक नहीं हुआ.
करीब 25 मिनट के बाद ही उसी कार में मौजूद लोगों ने मनसुख की हत्या कर दी. मर्डर के बाद उसकी बॉडी को उन्होंने मुंब्रा क्रीक में फेंक दिया. हालांकि वाजे और माने वहां से पहले ही निकल चुके थे. टवेरा गाड़ी में बैठे आरोपी कोई और नहीं बल्कि संतोष शेलार, आनंद जाधव, मनीष, सतीश और विनायक शिंदे थे. जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं. मनसुख की हत्या के बाद माने ने वाजे को फिर से कलवा स्टेशन छोड़ दिया. खुद वसई जाकर मनसुख के फोन और सिम को डैमेज कर दिया. वहीं दूसरे सिम को उसने तुंगारेश्वर में फेंक दिया, जिससे जांच को गुमराह किया जा सके. उसके बाद माने सीधे अपने घर पहुंचा और अपने स्टाफ से मोबाइल और बैग घर मंगवा लिया.
जांच एजेंसी को गुमराह करने की कोशिश
वहीं सचिन वाजे ने जांच एजेंसी को गुमराह करने के लिए खुद डोंगरी में एक छापेमारी की थी, जिससे ये लगे कि मनसुख की हत्या के दिन वह डोंगरी में था. वहीं उसने अपना फोन भी ऑफिस में छोड़ दिया था. बाद में उसने उस फोन को रियाज काजी से मंगवाया था. अब NIA सचिन वाजे, सुनील माने और प्रदीप शर्मा को एक साथ बैठाकर उनसे पूछताछ करने की तैयारी में है. वहीं जांच एजेंसी ये भी जानने की कोशिश करेगी कि मनसुख की हत्या के अलावा क्या एंटीलिया ममाले में भी उनकी कोई भूमिका है या नहीं. वहीं जेलेटिन केस के मास्टरमाइंड की भी तलाश की जा रही है. पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि प्रदीप शर्मा कमिश्नर ऑफिस में मीटिंग के लिए किसके पास जाता था.
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