आखिर और कितनी किरकिरी कराएगी राज्य सरकार – गरिमा मेहरा दसौनी
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसोनी ने आज प्रदेश मुख्यालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान राज्य सरकार के फैसलों पर कटाक्ष किया।
दसोनी ने कहा कि हर बार अपनी तैयारियों में कमी की वजह से राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के सामने मुंह की खानी पड़ती है ।
दसोनी ने कहा आज भी ऐसा ही देखने को मिला ।जब चार धाम की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार को 28 जून तक का समय उच्च न्यायालय ने दिया था फिर भी राज्य सरकार ने अपनी हठधर्मिता के चलते 25 जून को आहूत कैबिनेट बैठक में चार धाम यात्रा की तिथि 1 जुलाई को यथावत रखने की मंजूरी दी थी परंतु उच्च न्यायालय में जो जवाब राज्य सरकार के अधिकारियों के द्वारा दिए गए उससे उच्च न्यायालय पूरी तरह से असंतुष्ट रहा और उन्होंने राज्य सरकार को 1 जुलाई नहीं चार धाम यात्रा 7 जुलाई से करने का निर्देश दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं चार धाम यात्रा का हश्र भी कुंभ की तरह अव्यवस्थाओं की भेंट न चढ़ जाए ।
दसौनी ने कहा कि इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि एक तरफ जहां लेखपाल और पटवारी भर्ती में शारीरिक योग्यता और उम्र के मानक पर्वतीय और मैदानी जिलों के लिए अलग-अलग रखे गए हैं जिससे युवाओं में भारी आक्रोश है हाइट को लेकर भी विरोधाभास है और उम्र में भी 7 साल का अंतर वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार नर्सिंग की लिखित भर्ती परीक्षाओं की तिथि तीन बार घोषित करने के बावजूद नहीं करा पाई है और अब तो नर्सिंग भर्ती में एक ऐसा मोड़ आया है जिसने प्रदेश में एक भूचाल पैदा कर दिया है। दसौनी ने कहा जो ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है उससे यह साफ ज़ाहिर हो रहा है कि प्रदेश में कुछ लोग हैं जो लगातार भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं ।
दसोनी ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि आज 3 दिन बीत जाने के बाद भी इस ऑडियो की सच्चाई नही पता चल पा रही है। जो महिलाएं इस में बात कर रही हैं उनका पता नहीं चल पा रहा वहीं दूसरी ओर जिस एक लाख को जोड़ने की बात और 5 करोड़ रूपया कहीं पहुंचाने की बात वह कह रही हैं उसको भी जानने का जनता को अधिकार है कि आखिर इस घृणित कार्य में कौन-कौन लोग संलिप्त हैं?? दसोनी ने कहा कि जीरो टॉलरेंस की आड़ में यह सरकार किस हद तक गिर सकती है यह तो सब ने कुंभ फर्जीवाड़े के दौरान देख ही लिया लेकिन अब नर्सिंग भर्ती को लेकर वायरल हुए इस ऑडियो ने तो जैसे उत्तराखंड की सियासत में जलजला ही पैदा कर दिया है ।दसौनी ने कहा दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि पुलिस प्रशासन इस पूरे प्रकरण पर मूकदर्शक बना हुआ है ।दसोनी ने ई बस सेवा के बाबत भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब आरटीआई में यह खुलासा हो चुका है कि बस संचालन में प्रदेश सरकार को दोगुना नुकसान हो रहा है ऐसे में सरकार अपनी नीतियों में बदलाव क्यों नहीं ला रही है ।
दसोनी ने कहा कि जिस विकट आर्थिक संकट से प्रदेश जूझ रहा है ऐसे में उत्तराखंड राज्य इस हालत में है ही नहीं की बसों पर कमाई आधी और लागत दुगनी लगाई जाए।
दसोनी ने कुमाऊं में चल रहे भाजपा के चिंतन शिविर पर भी भाजपा की जमकर खिंचाई की।
दसोनी ने कहा कि कहीं ना कहीं भाजपा को अपना जनाधार खिसकने का और कुमाऊं मंडल में तो पूरी तरह से अपने सूपड़ा साफ होने का एहसास हो गया इसी वजह से आज कल भाजपा का कुमाऊं प्रेम कुछ जरूरत से ज्यादा ही उमड़ रहा है ।
दसोनी ने कहा जिस तरह से साढ़े 4 साल तक भाजपा ने प्रदेश की जनता को गरीबी महंगाई बेरोजगारी की चक्की में पीसने का काम किया और जिस तरह से करोना संकटकाल में कुनीतियों और अव्यवस्थाओं का बोलबाला चारों तरफ रहा उससे प्रदेश की जनता काफी आक्रोशित एवं गुस्से में है। इसीलिए प्रदेश भाजपा को आगामी चुनाव के मद्देनजर चिंतन शिविर करने की जरूरत पड़ रही है। दसोनी ने कहा दरअसल 2017 के चुनाव में भाजपा अपने तरकश के सारे तीर निकल चुकी है इसलिए उसके अब समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सा ऐसा तुरुप का इक्का चला जाए जिससे उत्तराखंड की जनता को बरगलाया जा सके।
दसोनी ने कहा की एक तरफ त्रिवेंद्र और तीरथ की लड़ाई में प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों पर किसी का चयन नहीं किया गया है फिर चाहे वह बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पद हो या फिर मंडी परिषदों के अध्यक्ष का, तेरा मेरा के चक्कर में खामियाजा उत्तराखंड की जनता को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
संविधान के हिसाब से आयोग के अध्यक्ष का पद 12 घंटे से ज्यादा खाली नहीं रह सकता परंतु यहां उत्तराखंड में जो सरकार चल रही है वह लगातार संविधान की हत्या करने पर तुली हुई है
आज हालात यह हैं प्रदेश के अंदर महत्वपूर्ण पदों पर अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है क्योंकि भाजपा को अपने दल में असंतोष पनपने की चिंता सता रही है
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