असम: अंबुबाची त्योहार के 3 दिन बार फिर से खोला गया कामाख्या मंदिर
असम (Assam) के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों के ऊपर स्थित, कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) अब अंबुबाची उत्सव के तीन दिनों के बाद फिर से खोल दिया गया है. हालांकि 30 जून तक (COVID-19) के कारण भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह माना जाता है कि अंबुबाची उत्सव के दौरान देवी कामाख्या अपने मेंसटुरल पीरिएड से गुजरती हैं और इसलिए, मंदिर बंद रहता है.
अम्बुची मेला, जिसे अमेती उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, असम के पर्यटन कैलेंडर की प्रमुख घटनाओं में से एक है. जानकारी के मुताबिक, शनिवार को, कई ‘दीयों’ (मिट्टी के दीपक) ने मंदिर परिसर को रोशन किया.”अनुष्ठान करने के बाद गुवाहाटी के मंदिर के कपाट 3 दिन बाद खोल दिए गए हैं. लेकिन अभी भी 30 जून तक कोविड -19 के कारण भक्तों के लिए मंदिर बंद रहेगा.
असम के लोकप्रिय कामाख्या मंदिर के प्रबंधन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया था. मंदिर प्रशासन की ओर से जानकारी दी गई थी अंबुबाची मेले के दौरान पूजा-पाठ जरूर किया जाएगा 30 जून तक देवालय कॉम्प्लेक्स में किसी भी श्रद्धालू को आने की अनुमति नहीं है.
COVID प्रकोप से पहले मंदिर में भक्तों की भीड़ को याद करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारी मोहित चंद्र शर्मा, उन्होंने कहा, “लाखों भक्त अंबुबाची के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए लाइन लगाते थे. लेकिन इस साल COVID-19 के कारण ऐसा कुछ नहीं है. मुझे उम्मीद है कि अगले वर्ष COVID-19 के कारण कोई प्रतिबंध नहीं होगा और हम अंबुबाची को उचित धूमधाम से मना पाएंगे. ”
क्या है महत्व?
कामाख्या मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. यहां पर देवी की पूजा योनि रूप में की जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक सती जी ने अपने पिता से नाराज होकर अग्नि समाधि ले ली थी. इस दौरान भगवान शिव उनका जला हुआ शव लेकर तीनों लोकों में घूम थे। इस पर देवताओं ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र से सती जी के शव को काटने का आग्रह किया. इसके बाद उनका अंग जहां-जहां गिरा वहां-वहां उनकी पूजा की जाने लगी.
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