जनप्रतिनिधि हो तो ऐसा हो संघर्षों से लड़कर आगे बढ़े हैं कुलदीप रावत
MP Team
जनप्रतिनिधि हो तो ऐसा हो संघर्षों से लड़कर आगे बढ़े हैं कुलदीप रावत
हालात लाख बुरे हों पर जीवन में कुछ अलग करने का जुनून और जिद्द कामयाब बनाती है। शुरुआत हमेशा छोटी होती है मेहनत और ईमानदारी से कोई काम किया जाए तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है ऐसी ही कहानी है शून्य से शिखर तक पहुंचने वाले उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध समाजसेवी कुलदीप रावत की।
कुलदीप रावत मात्र 15 साल के थे उनके सिर से पिता का साया उठ गया। लोग रोजगार की ढूंढ में शहरों की तरफ भागते हैं लेकिन उन्होंने 1997 में रोजगार की तलाश में रुद्रप्रयाग आने का निश्चय किया। उन्होंने सोच लिया था यदि काम नहीं मिलता है केदारनाथ यात्रा में खच्चर चलाऊंगा। कुलदीप रावत जी कहते हैं कि संघर्ष के शुरुआती दिनों में केदारघाटी के लोगों ने मेरा बहुत साथ दिया। मार्शल आर्ट के नेशनल प्लेयर होने के कारण उन्हें जाखधार नवोदय विद्यालय में मार्शल आर्ट ट्रेनर का काम मिल गया। यहीं से उन्होंने 2007 में अपना प्रॉपर्टी व्यवसाय की शुरूआत की, जो आज पूरे उत्तराखंड में दीक्षा प्रॉपर्टी के नाम से फैमस है। कुलदीप रावत ने संघर्ष के दिनों में गरीबी को बहुत करीब से देखा है। आज अगर वो गरीब असहाय निर्धनों का सहारा बन रहे हैं इसके पीछे की वजह है उनका संघर्ष भरा अतीत। अक्सर दौलत और शौहरत पाने बाद इंसान अपना अतीत भूल जाता है वो और अधिक दौलत कमाना चाहता है पर कुलदीप रावत जी ऐसे नहीं है वो अपनी कमाई का एक हिस्सा हमेशा गरीब असहाय निर्धनों की मदद के साथ अन्य समाजसेवा के कार्यों में खर्च करते हैं।
आज कुलदीप रावत बिना किसी सरकारी सहयोग के अपने संसाधनों से हजारों जरूरतमंदों को मदद कर चुके हैं जिसमें गरीब बच्चों को पढाई के स्कॉलरशिप, निर्धन कन्याओं की शादियों में आर्थिक मदद, अनाथ बच्चों को गोद लेना, बेसहारा परिवार और विकलांगों जनों को आर्थिक भत्ता, स्कूलों में मदद, मरीजों के इलाज में आर्थिक मदद, महिला युवा मंगल दल को आर्थिक मदद, सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आर्थिक मदद शामिल हैं। कुलदीप रावत ने कोरोना काल में भी दिल खोलकर लोगों की मदद की है कोरोना की पहली लहर में प्रवासी भाई-बंधुओं को आर्थिक मदद के अलावा कुलदीप रावत जी खुद गावों में खाद्य सामग्री लेकर पहुंचे थे। कोरोना की इस दूसरी लहर में आने की परमिशन ना होने बावजूद भी उनकी टीम ने जरूरतमंदों तक जी जान से लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंचाई हैं।
” इसी कड़ी में आज उनकी पूरी टीम रुद्रप्रयाग जिले के क्यूंजा घाटी में जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री का वितरण कर रही है!