हाईकोर्ट में ममता सरकार को लगा झटका, पुनर्विचार की याचिका हुई खारिज
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट में झटका लगा है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) के चुनाव के बाद की हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश को वापस लेने के लिए न्यायालय में पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी है.
इसके साथ ही कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को राज्य का दौरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश को बहाल रखा है, जिसके तहत NHRC की टीम विभिन्न इलाकों का दौरा कर रिपोर्ट पेश करेगी. राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने चुनाव बाद हिंसा के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कितने लोग अभी तक नहीं लौटे हैं, राज्य सरकार कोर्ट को केवल सूची देती है. वह यह नहीं चाहते हैं. जिस तरह से जांच की गई है, वह सही नहीं है. हमें कुछ नहीं चाहिए. पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की. सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में राज्य ने अपनी पहल पर कुछ नहीं किया. इतने गंभीर मामले में उसने कुछ नहीं किया. इतना क्यों छिपाया जा रहा है? इसका मतलब है कि आप शिकायतकर्ताओं की नहीं सुन रहे हैं. अदालत राज्य के आश्वासन पर भरोसा नहीं कर सकती है. इसके पहले दिया गया निर्देश लागू रहेगा, हालांकि, राज्य सरकार अपना हलफनामा दे सकती है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास दर्ज हुई है शिकायत
अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास 541 शिकायत दर्ज हुई है, जबकि राज्य मानवाधिकार आयोग के पास एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई है. चुनाव के बाद भी हिंसा क्यों हो रही है. यह चिंताजनक है. बता दें कि चुनाव के बाद हिंसा को लेकर 18 जून को पांच सदस्यीय बेंच ने कहा था कि पहले तो राज्य सरकार लगे आरोपों को मान ही नहीं रही, लेकिन हमारे पास कई घटनाओं की जानकारी और सबूत हैं. इस तरह के आरोपों को लेकर राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती. अदालत ने हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्य सरकार को उस समिति का सहयोग करने को कहा था. दूसरी ओर, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रीतेश तिवारी ने चुनाव के बाद हिंसा को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है.
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