‘बड़ा दिल’ दिखाने का शुक्रिया मुख्यमंत्री जी
गुरुवार का दिन उत्तराखंड के उन दिवंगत पत्रकारों के आश्रितों के लिए राहत लेकर आया, जिनकी पिछले कुछ सालों में आकस्मिक मौत (कोरोना आदि से) हो गई थी। ऐसे 18 पत्रकारों के आश्रितों को राज्य सरकार ने 5–5 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को जाता है। उत्तराखंड प्रदेश गठन के बाद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी राशि मृतक पत्रकारों के आश्रितों को स्वीकृत की गई। इस निर्णय से साफ है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पत्रकारों के कल्याण के प्रति गंभीर और संवेदनशील हैं।
दरअसल, पत्रकारों के कल्याण के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने को राज्य सूचना एवम् लोक संपर्क विभाग के अंतर्गत पत्रकार कल्याण कोष की व्यवस्था पूर्व से चली आ रही है। पत्रकार कल्याण कोष समिति की संस्तुति पर मुख्यमंत्री पत्रकारों अथवा उनके परिजनों के लिए आर्थिक सहायता स्वीकृत करते हैं। इस समिति की बैठक तकरीबन दो वर्ष से नहीं हुई थी जिस वजह से कोष का लाभ पत्रकारों को नहीं मिल पा रहा था। स्वर्गीय दीप जोशी व स्वर्गीय पुरुषोत्तम असनोड़ा सरीखे 18 पत्रकारों के आकस्मिक निधन के एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने पर भी उनके परिजनों को आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही तीरथ सिंह रावत ने इसका संज्ञान लिया और बीते अप्रैल माह में पत्रकार कल्याण कोष समिति के सभी 4 सदस्य मनोनीत किए गए।
समिति के चारों सदस्यों का चयन निष्पक्ष तरीके से करते हुए बीते 1 जून को समिति की बैठक आयोजित की गई। समिति ने सभी 18 मामलों पर एकरूपता से विचार करते हुए उनके परिजनों को 5–5 लाख की बराबर राशि दिए जाने की संस्तुति मुख्यमंत्री से की। देर किए बगैर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने समिति की संस्तुतियों को तत्काल स्वीकृति दे दी। पत्रकारों के कल्याण के लिए सरकारी सिस्टम में त्वरित गति से हुए काम का यह उत्तराखंड में पहला उदाहरण है। बड़े और छोटे संस्थान का भेद किए बगैर लिए गए सरकार के इस निर्णय की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम होगी।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि कुछ पड़ोसी राज्यों में पत्रकारों की आकस्मिक मृत्यु पर उनके परिजनों को दी जाने वाली राशि 10 लाख रुपए तक है, लेकिन उसके मानक इतने जटिल हैं कि वहां इसका लाभ चुनिंदा पत्रकारों को ही मिल पाता है।
शुक्र है कि इस मामले में हमारे प्रदेश में नियमों की जटिलता नहीं है। यह पहला अवसर नहीं है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पत्रकारों के प्रति संवेदनशीलता प्रकट की हो, इससे पहले पत्रकारों और उनके परिजनों को कोविड वेक्सिनेशन में प्राथमिकता देकर उन्होंने खुद के सहृदयी होने का परिचय दिया था। इस पूरे प्रकरण में सूचना महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान की भूमिका भी सराहनीय है।
साभार :- दीपक फर्स्वाण, वरिष्ठ पत्रकार ।।
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