मनोज टंगणिया
इस बार बाजार में नजर नहीं आयेगा हिमालयी पुष्प लीलियम, बागवान हुये मायूस।
उत्तराखंड (बागेश्वर) हिमालयी क्षेत्र में उगने वाला सुगंधित और बेहद आकर्षक फूल लीलियम इस बार बाजार से नजर नहीं आयेगा। कोरोना संक्रमण की मार इस खुबसूरत फूल पर भी पड़ी है। पिछले साल लीलियम फूल को बाजार ना मिलने से किसानों को आठ से 10 लाख का नुकसान उठाना पड़ा। जिसे देखते हुये हिमालयी क्षेत्रों के किसानों ने इसकी पैदावार ही नहीं की।
कोरोना संक्रमण का असर अब बागवानी पर साफ नजर आने लगा है। हालांकि बागवानी करने वाले किसानों ने पिछले साल और इस साल जमकर सब्जियों का उत्पादन किया लेकिन लीलियम फूल को लेकर इस साल भी किसानों के चेहरे मायूस हैं। दरसल ये खूबसूरत फूल लीलियम आप जो देख रहे हैं ये हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला फूल है। इसे एक महीने तक पानी में रखकर आप अपने घर की शोभा बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक खिले रहने की क्षमता के कारण बाजार में लीलियम की काफी डिमांड है। पिछले पांच सालों में कम मेहनत पर अधिक मुनाफा देने वाले लीलियम फूल को लेकर बागेश्वर जिले के बागवानों में जागरूकता बढ़ी है। जिले के हिमालयी क्षेत्र शामा, लीती, पोथिंग सहित पिंडर घाटी के तलहटी में इसकी जमकर खेती होती है। आज करीब 20 से 25 किसान लीलियम फूल की खेती से जुड़े हुये हैं। कोविड संक्रमण काल से पहले किसान इस फूल की खेती से एक से दो लाख तक की आमदनी करते थे मगर कोविड काल में बाजार ना मिलने के कारण इस साल किसानों ने लीलियम की पैदावार नहीं की। किसानों का साफ तौर पर कहना है कि पिछले साल उन्हें बहुत घाटा हुआ जिसे देखते हुये इस बार लीलियम की खेती नही की गयी। आपको बता दें कि लीलियम की खेती को लेकर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल केके पाॅल ने उद्यान विभाग को कार्ययोजना बनाकर किसानों को इसकी खेती से लाभान्वित करने की पहल की थी। जो काफी हद तक किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने में भी सहायक हुई।
कोरोना संक्रमण ने छोटे छोटे पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों को अधिक प्रभावित किया है। बागेश्वर जिले के किसान पिछले दो-तीन सालों से बागवानी में काफी रूचि ले रहे थे लेकिन कोरोना काल ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। ऐसे में किसान अब सरकार से कुछ मदद की आश लगाये हैं। उधर, जिला उद्यान अधिकारी आर के सिंह के मुताबिक जिले के पर्वतीय क्षेत्र में बागवानी की स्थिति और फूलों की बागवानी कर रहे किसानों को हुये नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।
बहरहाल कोरोना का असर हर जगह पड़ा है। खासकर गांवों में जो किसान अपनी आर्थिकी सुधारने के लिये व्यवसायिक खेती पर ध्यान दे रहे थे उन्हें सबसे अधिक नुकसान हुआ है। सरकार को ऐसे किसानों की मदद के लिये आगे आना होगा ताकि उनका उत्साह और हौंसला बना रहे।
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