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गुटबाजी के चलते नेता प्रतिपक्ष चुनाव कांग्रेस आलाकमान के लिए बड़ी चुनौती

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले जहां बीजेपी ने 4 महीने में 3 मुख्यमंत्री बदलने का फैसला कर लिया, वहीं कांग्रेस में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुए सीएलपी पद को भरने का अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। उत्तराखंड कांग्रेस विधानमंडल दल ने फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान अभी तक नाम पर फैसला करने में सफल नहीं हुआ है।
सीएलपी नेता को लेकर कांग्रेस विधानमंडल की बैठक हुई और सर्वसम्मति से तय किया गया कि नेता प्रतिपक्ष का नाम कांग्रेस आलाकमान ही चुने। जल्द ही इस पर आलाकमान फैसला ले लेगा। लेकिन जिस तरह से ये मामला इतना आसान दिख रहा है, ये असल मे उतना आसान है नहीं। खुद प्रीतम सिंह फैसले के इंतज़ार में एक हफ्ते से ज़्यादा समय से दिल्ली में बने रहे। लेकिन अब तक कोई फैसला न हो पाने के चलते वो भी आगे के कार्यक्रम की तैयारी के लिए उत्तराखंड रवाना हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रीतम सिंह को सीएलपी नेता बनाना चाह रही है और प्रदेश अध्यक्ष के लिए कोई ब्राह्मण चेहरा ढूंढ रही है, लेकिन नामों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए जबकि प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी चाहते हैं कि चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा जाए। प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच के मतभेद भी लगातार खबरों में रहे हैं। इन तमाम कारणों से कांग्रेस फैसला करने में असमर्थ दिख रही है।

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