रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से ठगों ने कमाए 25 करोड़
हरियाणा के पानीपत जिले की पुलिस ने कोविड-19 महामारी के इस डेढ़ साल में अब तक देश की सबसे बड़ी ठगी का भांडाफोड़ किया है. यह ठगी कोरोना पीड़ित मरीजों की जिंदगी बचाने में रामबाण साबित हो रहे ‘रेमडेसिविर’ इंजेक्शन के नाम पर की जा रही थी. इस गिरोह के ठगों ने कोरोना काल की मारामारी में भी 30 रुपए वाली एंटीबायोटिक दवाई की शीशी को ‘रेमडेसिविर’ इंजेक्शन बताकर ब्लैक-मार्केट में धड़ल्ले से ऊंची कीमत पर बेचा.
इस गिरोह ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल और उत्तर प्रदेश तक इन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप खपाने का जुर्म कबूला है. इस सिलसिले में पंजाब पुलिस ने एक और ब्लैक-मार्केटियर को रोपड़ से गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार पांचवे ब्लैक-मार्केटियर ने भी तमाम सनसनीखेज खुलासे किए हैं. पंजाब से गिरफ्तार पांचवे ब्लैक-मार्केटियर का नाम शहनजर है. शहनजर को पानीपत पुलिस से मिली खबर के आधार पर पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस बात की पुष्टि खुद पानीपत के पुलिस अधीक्षक भी करते हैं.
15-25 हजार रुपए तक वसूलते थे दुकानदार
बुखार को नियंत्रित करने वाले इन एंटीबायोटिक इंजेक्शन की शीशियों पर ठग, रेमडेसिविर इंजेक्शन का रैपर चिपका देते थे. पकड़े गए पांचवे आरोपी ने कबूला है कि वे लोग, उत्तराखण्ड में भी इन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई कुछ दवा विक्रेताओं को कर चुके हैं. यह ठग इन नकली इंजेक्शन को सीधे ग्राहक को बेचने में ज्यादा रूचि नहीं रखते थे.
यह ब्लैक-मार्केटियर इन नकली इंजेक्शन को 5 से 10 और 15 हजार रूपए प्रति नग के हिसाब से, इलाके में स्थित मेडिकल दुकानों पर सप्लाई कर देते थे. खरीददार दवा विक्रेता इन इंजेक्शन को आसपास मौजूद अस्पतालों में काम करने वाले छोटे कर्मचारियों के जरिए मरीजों और उनके तीमारदारों तक बेचकर पहुंचवा देते थे. यह दुकानदार 15 हजार वाले इंजेक्शन की कीमत 25 हजार रुपए तक वसूलते थे.
पानीपत जिला पुलिस अधीक्षक के मुताबिक, इस गिरोह से खरीदे हुए करीब 4 हजार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तो जिले के सिर्फ एक ही दवा विक्रेता ने खपा-बेच दिए हैं. इस विक्रेता से भी पूछताछ जारी है. पता चला है कि इस दवा विक्रेता ने यह इंजेक्शन बेचकर करीब चार करोड़ रुपए कमाए हैं. इस दवा विक्रेता पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि उसने, पानीपत में यह एक एक नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन उसकी असली कीमत यानी 88 हजार रुपए में भी बेचा है. अगर ऐसा है तो इस दवा विक्रेता ने करीब 10 करोड़ रुपए इन नकली इंजेक्शनों को बेचकर कमाए होंगे.
अस्पताल के कर्मचारी भी गोरखधंधे में शामिल
हालांकि इन सभी तथ्यों की पुष्टि अभी पानीपत पुलिस कर रही है. पुलिस अब पानीपत और उसके आसपास के अस्पतालों में उन कर्मचारियों को भी तलाश रही है जो, दवा विक्रेता और ग्राहक या मरीज के बीच इन इजेंक्शनों की कालाबाजारी के गोरखधंधे में “पुल” का काम कर रहे थे. जिसके बदले में उन्हें 2 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन का मोटा कमीशन दवा विक्रेताओं की ओर से भी दिया जाता था.
पड़ताल के दौरान पानीपत पुलिस, पंचकुला और हिमाचल प्रदेश की उस फार्मा कंपनी को भी मुकदमे में गवाह बनाने की योजना बना रही है जिनसे, इन ठगों ने 30 रुपए कीमत वाले एंटीबायोटिक इंजेक्शन की शीशी थोक में खरीदी थीं. गैंग के 4 मास्टरमाइंड ठगों को पानीपत पुलिस यूपी के सहारनपुर, मुजफ्फनगर और पंजाब के मोहाली से दो दिन पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. पहले गिरफ्तार किए जा चुके ब्लैक-मार्केटियरों का नाम मोहम्मद शहवार, मो. अरशद, मो. अखलद और शाह आलम है. इन ठगों में कई आपस में चचेर-तैयरे-फुफेरे-ममेरे भाई भी हैं.
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