नई दिल्ली। केरल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे लोग जिन्हें वैक्सीन लग चुका है वो भी कोरोना महामारी से संक्रमित हो रहे हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी है कि केरल में करीब 40 हजार मरीज ऐसे पाए गए हैं, जो पूरी तरह से वैक्सीनेट थे और संक्रमण का शिकार हो गए। केरल में कोरोना वायरस के बढ़ते केसों को देखते हुए केंद्र सरकार ने केरल से ऐसे सभी संक्रमित मरीजों का जीनोम अनुक्रमण भेजने के लिए कहा है। इस सैंपल का मिलान कोरोना के दूसरे केसों के साथ किया जाएगा। सरकार ने इस बात को बेहद गंभीर माना है कि वैक्सीन लगने के बाद यहां लोग संक्रमित हो जा रहे हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि क्या यह डेलटा वेरिएंट का असर है। यहां ज्यादातर ऐसे केस पथानामथिट्टा जिले से आए हैं। मंत्रालय को इस बात की शंका है कि कहीं वहां वायरस में कोई अहम म्यूटेशन तो नहीं जो इम्यूनिटी को इफेक्ट कर रहा हो? यह चिंता नए म्यूटेंट वेरिएंट को लेकर है केरल में मंगलवार को कोरोना के नए मामलों में गिरावट देखी गई थी। मंगलवार को कोरोना के नए केस 13,049 सामने आए थे, जबकि 105 लोगों की जान चली गई। केरल में बुधवार को फिर से नए मरीजों की संख्या 21,119 मामले और 152 मौतें सामने हुईं। इधर केरल उच्च न्यायालय को राज्य सरकार ने बुधवार को बताया कि जिन लोगों को अभी तक कोविड-19 रोधी टीके नहीं लगे हैं या दवा से एलर्जी या किसी अन्य बीमारी के कारण टीके नहीं ले पाए हैं, वे किराने सहित खाद्यय पदार्थ खरीदने जैसे आवश्यक कार्याे के लिए घरों से बाहर जा सकते हैं बशर्ते उनके घर में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे टीका लगा हो या जिसके पास संक्रमित नहीं होने की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट हो। केरल सरकार ने न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार का बताया कि 10 अगस्त को जारी किए गए कोविड-19 संबंधी नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अकेले रहने वाले लोग, जिन्हें टीके नहीं लगे हैं और जिनके पास संक्रमित नहीं होने की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट भी नहीं है वे आवश्यक काम के लिए घर से बाहर निकल सकते हैं। केरल सरकार ने एक व्यक्ति की उस याचिका के जवाब में यह बात कही, जिसमें दावा किया गया था कि टीके की एक खुराक भी ना ली होने पर या संक्रमित ना होने की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नहीं होने पर किसी को घर ने बाहर ना निकलने देना नजरबंद करने के बराबर है। याचिकाकर्ता के वकील को भी दवा से एलर्जी है और उन्होंने दलील दी थी टीके की खुराक का किसी प्रकार की एलर्जी पर क्या असर होगा इसकी जांच होने तक वह टीका नहीं लगवा सकते। वकील ने यह भी दावा किया कि जिला चिकित्सा अधिकारी और यहां तक कि निजी अस्पताल भी यह कहते हुए खुराक देने से इनकार कर रहे हैं कि उनके पास इसके बारे में कोई निर्देश नहीं है।
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