हल्द्वानी जेल में बंद भाइयों के हाथ में रक्षा सूत्र बांधने के लिए बहनों की बेताबी साफ देखी जा सकती है। उप कारागार हल्द्वानी के बाहर करीब 500 की संख्या में बहनें राखी लेकर पहुंची हैं। जहां जेल प्रशासन खिड़कियों से भाइयों की मुलाकात करवा रहा है और बहने उन्हें राखी बांध रही हैं।
भाई और बहन के आपसी सौहार्द और प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार जिले में धूमधाम से मनाया जा रहा है। जिसमें हल्द्वानी उप कारागार में बड़ी संख्या में बहनें भाइयों के इंतजार में धूप में खड़ी हैं। रविवार सुबह आठ बजे से ही जेल परिसर में बहनों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जिसमें हाथ में रक्षा, कलावा और मिठाई का डिब्बा लेकर महिलाएं पहुंच रही हैं। जेल प्रशासन की ओर से सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। जिसमें मेन गेट से लेकर राखी बांधने के काउंटर तक कर्मचारियों की ड्यूटी कड़ी की गई है। वही कर्मचारी महिलाओं को भाइयों तक पहुंचाने के लिए भी व्यवस्था में लगे हुए हैं। जेल अधीक्षक एसके सुखीजा ने बताया कि महिलाओं को सुविधा के अनुसार छोटे-छोटे समूह में राखी बांधने के काउंटर पर भेजा जा रहा है। जेल के अंदर से कैदियों को भी लिस्टिंग करके उनकी बहनों से मिलाया जा रहा है। बहने भाई के माथे पर टीका लगाकर मिठाई खिला रही हैं और रुंधे गले से उन्हें आशीर्वाद दे रही हैं। हल्द्वानी उप कारागार में रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधने के लिए कुल 15 काउंटर बनाए गए हैं। जिसमें बारी-बारी से बहने काउंटर पर जाकर खिड़कियों के माध्यम से भाई से मिल रही हैं। जेल अधीक्षक एसके सुखीजा ने बताया कि एक बार में 14 महिलाओं का समूह राखी बांधने के लिए भेजा जा रहा है। जबकि अन्य को बाहर इंतजार करने को कहा जा रहा है। व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी को भेजकर राखी बधवाई जा रही है। रक्षाबंधन के पर्व पर जेल में बंद कैदी भाई भले ही बहनों को कोई उपहार नहीं दे पा रहे हो लेकिन बहने राखी और मिठाई के साथ ही उपहार भी लेकर पहुंच रही हैं। जिसमें घर के बने लड्डू, फल और कई अन्य चीजें शामिल हैं। लेकिन जेल प्रशासन उन्हें अलग रखवा दे रहा है। जिसे बाद में भाई के पास पहुंचा दिया जाएगा। जेल अधीक्षक एसके सुखीजा ने बताया कि उपहार या किसी अन्य सामान की तलाशी ली जाती है। उसके बाद ही उसे जेल परिसर में जाने दिया जाता है। जिसमें यह ध्यान रखा जाता है कि कोई नशे की चीज, पका हुआ भोजन, मोबाइल, चार्जर, हथियार, चाकू, ब्लेड आदि अंदर नहीं जाने पाए।
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