रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाओं की डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आपदा के बाद केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाओं की डिमांड बढ़ी है। मगर हेली सेवाओं करने वाली कंपनियां नियम कानूनों को नजरअंदाज कर हेली सेवाओं का संचालन कर रही हैं। केदारनाथ में हेली सेवाओं को संचालित करने वाली कंपनियों एवं एनजीटी और भारतीय वन्यजीव संस्थान के बीच में कुछ मानक तय किए गए हैं जिनको कंपनियां धड़ल्ले से अनदेखा कर रही हैं। इस संबंध में एनजीटी एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान को रिपोर्ट भेजी जा रही है और इसी के साथ सभी हेली कंपनियों को पत्र भेजकर उनसे जवाब भी मांगा गया है। हेली कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर हेलीकॉप्टर उड़ा रही हैं जिस वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और वन्यजीवों के जीवन पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
सभी कंपनियों को हर दिन साउंड एवं ऊंचाई का रिकॉर्ड केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को भेजा जाना तय हुआ था मगर कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हैं। ऐसे में प्रभाग ने हेली कंपनियों से जवाब मांगा है। हेली सेवाएं केदार घाटी के पर्यावरण को काफी हद तक नुकसान पहुंच रही हैं और वहां पर वन्यजीवों के जीवन पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। वन्य जीव संस्थान का कहना है कि कंपनियां मानकों एवं एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। हेलीकॉप्टर के हेलीपैड से उड़ान भरने एवं हेलीपैड पर लैंड करने के दौरान ध्वनि का अधिकतम एवं न्यूनतम मापन भी तय किया गया है मगर इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी अमित कंवर का कहना है कि केदारनाथ यात्रा में हेली कंपनियां भारतीय वन्यजीव संस्थान एवं एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं और हेलीकॉप्टर निर्धारित ऊंचाई से कम में उड़ान भर रहे हैं जो कि पर्यावरण एवं वन्य जीवो के लिए हानिकारक है।
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