सुपर पॉवर और दुनिया का सबसे अमीर देश माने जाने वाले अमेरिका की 33 करोड़ जनसंख्या में करीब 17 प्रतिशत यानी 5 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. देश की गरीबी दूर करने में अमेरिका को अभी कम से कम चालीस साल लगेंगे.
नई दिल्ली. आपने अमेरिका की अमीरी के कई किस्से सुने होंगे. लेकिन सुपर पॉवर माने जाने वाले अमेरिका की अमीरी की सच्चाई कुछ और ही है. साल 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल थे, तब उन्होंने Make America Great Again का नारा दिया था. यानी अमेरिका को फिर से महान बनाने का नारा. अपने इस नारे के दम पर वो चुनाव जीत भी गए और अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बन गए. डोनाल्ड ट्रंप खुद एक अरबपति कारोबारी रहे हैं, जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है, वो एक ऐसे अमेरिका में पैदा हुए जो खुद को आज भी दुनिया की महाशक्ति कहता है, जो दुनिया का सबसे अमीर देश है, जिसके पास पैसों और संसाधनों की कोई कमी नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें अमेरिका को फिर से महान बनाने का नारा क्यों देना पड़ा ? क्योंकि आज के अमेरिका की सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है.
अमेरिका के हैं चौंकाने वाले आंकड़े
आकड़ों के मुताबिक, शिशु मृत्यु दर के मामले में अमेरिका दुनिया के 44 बड़े देशों में 34वें नंबर पर है. वहीं, परिवारों की औसत आय के मामले में अमेरिका दुनिया के अमीर 36 देशों में पहले नहीं बल्कि चौथे नंबर पर है. इसके अलावा प्रति एक लाख लोगों पर हत्या के मामले में अमेरिका दुनिया के 230 देशों में 89वें नंबर पर है. अगर स्वास्थय व्यवस्थाओं की बात की जाए तो अमेरिका में इलाज कराना दुनिया के 48 विकसित देशों के मुकाबले सबसे महंगा है. Life expectancy यानी जीवन प्रत्याशा के मामले में अमेरिका दुनिया के 193 देशों में 46वें नंबर पर है. ऐसे ही अगर किसी देश की कुल आबादी में गरीबों की संख्या गिनी जाए तो प्रतिशत के हिसाब से अमेरिका 172 देशों में से 127वें स्थान पर है.
अमेरिका में 17% आबादी है गरीब
अमेरिका की कुल आबादी में गरीबों की हिस्सेदारी साढ़े 12 प्रतिशत है. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक Covid 19 के बाद से ये संख्या 17 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जबकि आबादी के मामले में अमेरिका से 4 गुना बड़ा देश होने के बावजूद इस समय भारत में करीब 21 फीसद लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं. ये बात अलग है कि अमेरिका और भारत में गरीबी के पैमाने बहुत अलग-अलग है. अमेरिका में साल में 25 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवार को गरीब माना जाता है जबकि भारत के शहरों में साल में 61728 रुपये से कम कमाने वालों को गरीब माना जाता है.
University of Chicago की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में ऐसे लोगों की संख्या लाखों में हैं, जो एक दिन में दो डॉलर्स यानी 150 रुपये भी नहीं कमा पाते. वहीं World Bank के मुताबिक हर रोज दो डॉलर्स से कम कमाने वाले को गरीब माना जाता है. यानी अमेरिका जैसे देश में लाखों लोग 2 डॉलर्स प्रति दिन से भी कम की कमाई पर जीवित हैं. अमेरिका में हर रोज 2 डॉलर्स कमाने वाला व्यक्ति पानी की एक बोतल, 6 अंडे और एक बर्गर भी मुश्किल से ही खरीद सकता है.
हर रात साढ़े 5 लाख लोग सड़कों पर सोने को मजबूर
अमेरिका में किसी भी रात को कम से कम साढ़े 5 लाख लोग सड़कों पर सोने को मजबूर होते हैं. ये वो लोग हैं जिनके पास अपना घर तक नहीं है. अमेरिका में लोगों की आमदनी लगातार गिर रही है और मूल अमेरिकी आज की तारीख में वहां बसे भारतीय और चीन के लोगों के मुकाबले भी कम पैसे कमा पाते हैं. वहां बसा एक भारतीय परिवार साल भर में औसतन 1 लाख 23 हजार डॉलर्स यानी करीब 93 लाख रुपये कमा लेता है, जबकि इसके मुकाबले अमेरिका के मूल निवासी औसतन 48 लाख रुपये ही कमा पाते हैं. यानी अमेरिका में बसे भारतीयों की औसत आमदनी वहां के मूल निवासियों के मुकाबले दोगुनी है.
भारत की गरीब छवि दिखाता है अमेरिका
इसके बाद भी अमेरिका जैसे देशों के मीडिया में भारत पर कोई कार्यक्रम दिखाया जाता है, तो उनमें भारत को एक गरीब देश के तौर पर ही दिखाया जाता है. झुग्गी झोपड़ियों और Slums की तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है, भूखमरी के शिकार बच्चों की तस्वीरें दिखाई जाती है, धूल से भरी गंदी सड़कें और भीड़ भाड़ वाली सड़कों को दिखाया जाता है. अमेरिका में भारत की गरीबी पर बनी Slum Dog Millionaire जैसी फिल्में Oscar Awards जीत लेती हैं. भारत विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ता एक देश है फिर भी पश्चिमी देशों के मीडिया में कई साल से भारत की एक ही छवि दिखाई जा रही है, जो एक गरीब और पिछड़े हुए देश की छवि है.
अमेरिका में हर 8 में से 1 व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे
अमेरिका ही की तमाम रिपोर्ट्स कहती हैं कि अमेरिका में हर 8 में से 1 व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी जी रहा है. इन आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका के करीब 12.5 फीसदी यानी करीब 4 करोड़ 11 लाख से भी ज्यादा आबादी गरीब हैं. अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के आंकड़े तो इससे भी ज्यादा डराने वाले हैं. रिपोर्ट कहती है कि कोरोना के बाद अमेरिका में गरीबों की संख्या तेजी से बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2020 जिस वक्त अमेरिका में कोरोना तेजी से अपना असर दिखा था तब बड़ी संख्या में लोग कोरोना से प्रभावित हो रहे थे. वहां जगह-जगह लॉकडाउन जैसे हालात थे, अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे थे, दुकानों पर ताले लगे हुए थे. ऐसे समय में अमेरिका की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तेजी से गरीब हुआ.
गरीबी दूर करने में लगेंगे 40 साल
रिपोर्ट के मुताबिक, अब 33 करोड़ जनसंख्या में करीब 17 प्रतिशत यानी 5 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. विकसित देशों की संस्था OECD की रिपोर्ट भी गरीबी पर अमेरिका को आईना दिखाने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक विकसित देशों में अमेरिका से ज्यादा गरीब सिर्फ कोस्टारिका और हंगरी में हैं. ये ऐसे देश हैं जिनके बारे में बहुत से लोगों को पता भी नहीं होगा. खुद अपने देश की गरीबी दूर करने में अमेरिका को अभी कम से कम चालीस साल लगेंगे.
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