उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक एवं औषधीय जड़ी-बूटियों की खदान है. यहां प्रचुर मात्रा में जड़ी-बूटियों एवं वनस्पतियों का भंडार मिलता है. इस बीच हैरानी की बात तो ये भी है कि आधुनिकता की इस दौड़ में हम लगातार इन अनमोल संपदाओं को भूलते जा रहे हैं. राज्य में मौजूद गुणों की खादान लिए और बड़ी से बड़ी बीमारियों की क्षमता रखने वाले फल एवं सब्जियों के बारे में राज्य समीक्षा पर समय-समय पर आपको जानकारी मिलती रहती है. एक ऐसा ही पौष्टिक जंगली फल है भमोरा (benefits of eating bhamora fruit uttarakhand) वैसे तो भमोरे का फल कम ही खाने को मिलता है परंतु चारावाहो द्वारा आज भी जंगलों में इसके फल को खाया जाता है. यह हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाला अत्यन्त महत्वपूर्ण पौधा है. इसी वजह से इसे हिमालयन स्ट्राबेरी का नाम दिया गया है. वैसे तो भमोरा संपूर्ण हिमालय क्षेत्रों भारत, चीन, नेपाल, आस्ट्रेलिया आदि में पाया जाता है परंतु अब यह फल उत्तराखंड के उत्तरकाशी देहरादून को जोड़ने वाले मार्ग पर मोरियाणा टाप के आसपास भी मिलने लगा है. इन दिनों में मोरियाणा टाप क्षेत्र में भमोरा बेचते हुए कई लोग दिख जाते हैं. तो अगर आप भी भमोरा का स्वाद चखना चाहतें हैं तो चले आइये मोरियाणा टाप.. चलिए आपको बताते हैं कि भमोरा के नाम से प्रचलित यह उत्तराखंड का जंगली फल कितना पौष्टिक है और उसके अंदर क्या-क्या गुण हैं जो कि कई बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं.
उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्रों में भमोरा अक्टूबर से दिसंबर के मध्य पकता है तथा पकने के बाद इसका फल स्ट्रॉबेरी की तरह लाल हो जाता है जो पौष्टिक तथा औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है. आपको बता दें की भमोरा का वैज्ञानिक नाम कार्नस कैपिटाटा है. यह Cornaceae कुल से संबंध रखता है. भमोरा मार्किट में अच्छे भाव में बेचा और ख़रीदा जा सकता है लेकिन यदि आप उत्तराखंड में हैं तो आप इसे जंगलों से प्राप्त कर सकते हैं. भमोरा का सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलू यह है कि इसकी छाल तथा पत्तियॉ टेनिन निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त होती है, जिसका फार्मास्यूटिकल उद्योग में औषधीय निर्माण हेतु उपयोग होता है. साथ ही इसमें मौजूद टेनिन जो एक एस्ट्रीजेन्ट के रूप में पाया जाता है वह दर्द तथा बुखार के निवारण के लिए उपयोग होता है. साथ ही इसका उपयोग खांसी, फ्लू, मुत्र रोग, अतिसार रोगों के निवारण के साथ-साथ लीवर तथा किडनी के बेहतर कार्यप्रणाली के लिए भी होता है.
उत्तराखण्ड में पाये जाने वाले भमोरा तथा कई अन्य पोष्टिक एवं औषधीय रूप से महत्वपूर्ण जंगली उत्पादों का यदि विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन कर इनकी आर्थिक क्षमता का आंकलन किया जाय तो यह प्रदेश के जंगली उत्पादों को विश्वभर में एक नई पहचान दिलाने में सक्षम है. उत्तराखंड में सेकड़ों फल (benefits of eating bhamora fruit uttarakhand) ऐसे ही जंगलों में उगते हैं, लेकिन पर्याप्त जानकारी और मार्किट के ना होने की वजह से वो जंगल में ही बर्बाद हो जाते हैं, ऐसी वनस्पतियों को यदि रोजगार से जोड़े तो शायद इसमें मेहनत भी कम हो सकती है क्योंकि यह स्वतः ही पैदा हो जाने वाली जंगली वनस्पति है. वही लोगों तथा सरकार द्वारा इनके आर्थिक महत्व पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यदि इन वहुउद्शीय पादपों के आर्थिक महत्व पर गहनता से कार्य किया जाता है तो पहाड़ो से पलायन जैसी समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है.
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