भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी दी गई थी।
प्रदेश में चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद सरकार ने शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक पारित कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। विधेयक पर राजभवन की मुहर लगने के साथ ही चारधाम देवस्थान प्रबंधन एक्ट निरस्त हो गया है। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
प्रदेश में चारधाम में पूर्व की व्यवस्था लागू होगी। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर कमेटी ही केदारनाथ, बदरीनाथ में व्यवस्था का संचालन करेगी। भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी दी गई थी। नौ दिसंबर 2019 को यह विधेयक विधान सभा से पारित कराया गया। राजभवन से मंजूरी के बाद यह कानून बन गया था।
सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। 25 फरवरी 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष और धर्मस्व व संस्कृति मंत्री को उपाध्यक्ष बनाया गया।
तत्कालीन गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन को बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद सौंपा गया था, लेकिन सरकार की इस व्यवस्था से चारधाम के पंडा पुरोहितों में भारी नाराजगी थी। उनका कहना था कि उनके हकहकूकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
दशकों से चली आ रही पंरपरा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। सरकार एक्ट बनाकर मंदिर के वित्तीय और नीतिगत फैसलों पर नियंत्रण करना चाहती है। चारधाम के पंडा पुरोहितों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने एक्ट को निरस्त किए जाने का निर्णय लिया और शीतकालीन सत्र में देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक प्रस्तुत कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिसे राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद अब बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में पूर्व व्यवस्था बहाल हो गई है।
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