जिला कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से मंगलवार को फिरोजपुर गांव में आजीविका संवर्धन के लिए मधुमक्खी पालन एवं मशरूम की खेती के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए एक दिवसीय प्रशक्षिण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में कृषि वैज्ञानिक डॉ एस पी सिंह ने ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन से होने वाले लाभ की जानकारी दी।
कृषि वैज्ञानिक डॉ एस पी सिंह बताया कि कोविड-19 की त्रासदी से निपटने के लिए किसानों और युवाओं को मधुमक्खी पालन से जोड़ा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी में इम्युनिटी बढ़ाने में शहद की भूमिका की बात कही है। बताया कि शहद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। नींबू और शहद मोटापे को कम करने में भी कारगर है। दुनिया के खाद्य उत्पादन का लगभग 33 प्रतिशत मधुमक्खियों पर निर्भर करता है। इस प्रकार वह जैव विविधता के संरक्षण, प्रकृति में पारस्थितिकी संतुलन और प्रदूषण को कम करने में भी सहायक है। मधुमक्खियां फूलों के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें छत्तों में जमा करती हैं। बढती हुई जनसंख्या तथा घटते हुए कृषि के जोत के आकार को देखते हुए वर्तमान में अतिरक्ति कृषि योग्य भूमि उपलब्ध करा पाना असम्भव है। इसलिए कृषकों के पास अधिक आर्थिक आय के लिए सघन, रक्षात्मक व वैज्ञानिक कृषि प्राणाली को अपनाना ही एकमात्र उचित विकल्प बचा है। कहा कि मधुमक्खी पालन बेरोजगार युवकों, भूमिहीन, अशिक्षित व शिक्षित परिवारों को कम लागत से अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय ही नहीं है। अपितु इससे कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा प्रशक्षिण में मशरूम की खेती से होने वाले आय सृजक गतिविधियों की जानकारी दी गई। इस दौरान मुख्य रूप से प्रगतिशील किसान अनिल मौर्य, चंद्र प्रकाश नारायण, मनोज मौर्य, मंगल यादव, रामकेश, संतोष, संतलाल, गोकुल, सुभाष सिंह, जय सिंह, कमला यादव,सीताराम, गणपत, संपत, राम अवतार सहित तमाम किसान मौजूद रहे।
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