नौकरशाह भी अपनी सरकारी मशीनरी के जरिये रुझान टटोल रहे हैं। मीडिया के लोगों से भी जानने का प्रयास हो रहा है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी।
उत्तराखंड में सत्ता की बागडोर प्रदेश के मतदाताओं ने किस दल को सौंपी है, इस प्रश्न का उत्तर बेशक 10 मार्च को मिलेगा, लेकिन राज्य के प्रशासनिक तंत्र को चलाने वाली नौकरशाही को वक्त रहते चुनावी हवा का रुख भांपने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश के सरकारी तंत्र में नौकरशाही का यही ही सिद्धांत रहा है जिसमें होगा दम, उसके संग होंगे हम। राजनीतिक दलों के दफ्तरों व सचिवालय के गलियारों और सरकारी दफ्तरों में इन दिनों एक प्रश्न का उत्तर जानने की बेताबी और कसरत हो रही है।
किस नेता की होगी मुख्यमंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा
रुझानों, बातचीत और राजनीतिक विश्लेषणों के जरिये यह अनुमान लगाने की कोशिशें हो रही हैं कि प्रदेश की जनता सत्ता की कमान आखिर किस राजनीतिक दल के हाथों में सौंपी है। उत्तर जानने की यही बेताबी प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र के सबसे मुख्य सूत्रधार नौकरशाही में भी दिखाई दे रही है।
मीडिया के लोगों से भी जानने का प्रयास हो रहा है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। उत्सुकता इस को जाने की भी है कि भाजपा या कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा किस नेता की होगी।
सत्ता बदलते ही बदल जाता है नौकरशाहों का रसूख
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