गांव में हुए भूस्खलन के बाद नौ परिवारों के 67 लोगों ने रिश्तेदारों व दो परिवारों ने स्कूल में शरण ली।
ग्राम पंचायत सारी के राजस्व ग्राम झालीमठ के ठीक पीछे कावेरी गदेरे की ओर अचानक हुए भूस्खलन से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों पर भागकर बमुश्किल जान बचाई। ग्रामीण कुछ समझ पाते, तब तक दो गोशाला व दो शौचालय भरभराकर मलबे के साथ कावेरी गदेरे में समा गए।
भूस्खलन से कई मकानों पर दरारें आ गई है। घटना से सहमे नौ परिवारों ने रिश्तेदारों व दो परिवारों ने प्राथमिक स्कूल में शरण ले रखी है। रविवार सुबह लगभग नौ बजे झालीमठ तोक में कावेरी गाड से लगी पहाड़ी से भारी मात्रा में भूस्खलन शुरू हो गया। इस दौरान चारों तरफ धूल का गुबार उठने लगा।
मकानों में पड़ी दरारे, लोगों में भय
जब तक ग्रामीण कुछ समझ पाते, तब तक दो गोशाला व दो शौचालय भरभराकर मलबे के साथ सीधे कावेरी गदेरे में समा गए। साथ ही दो आवासीय मकानों पर जगह-जगह दरारें पड़ गई। भूस्खलन के असर से दोनों मकानों की बुनियाद पूरी तरह से हिल चुकी है। साथ ही आसपास के नौ और आवासीय मकानों को भी खतरा पैदा हो गया है, जिससे ग्रामीणों में भय बना हुआ है।
सूचना पर तहसीलदार मंजू राजपूत व जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवाण ने राजस्व विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों के साथ प्रभावित झालीमठ का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने प्रभावित परिवारों से बातचीत करते हुए त्वरित मदद का आश्वासन दिया। बताया कि भूस्खलन से हरेंद्र कुमार और बीरेंद्र कुमार पुत्र रज्जी लाल की गोशाला व शौचालय जमींदोज हो चुका है।
आवासीय मकान भी दरारों से पटे होने से खतरे की जद में आ गए हैं। इन दोनों परिवारों को प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि बीरेश चंद्र, उमेश चंद्र, रमेश चंद्र, दिनेश, प्रेम लाल, धीरज लाल सहित 9 लोगों के मकानों के लिए खतरा बना हुआ है। इन सभी परिवारों के 67 लोगों ने गांव में ही अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली हुई है।
दो मकानों का ढांचा ही रह गया खड़ा
स्थानीय निवासी व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ईश्वर सिंह बिष्ट ने बताया कि कावेरी गाड चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद का विभाजन बिंदु है। दाई तरफ पहाड़ी से वर्षों से हल्का भूस्खलन होता आ रहा है। पूर्व में सुरक्षा के लिए दीवारें भी लगाई गई थी, लेकिन इस बार भूस्खलन का दायरा अचानक बढ़ गया। इससे 11 आवासीय मकान खतरे की जद में आ गए हैं। दो मकानों का ढांचा ही खड़ा रह गया है, जो कभी भी जमींदोज हो सकते हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से प्रभावित परिवारों को यथाशीघ्र सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने और आजीविका के लिए मुआवजा देने की मांग की है।
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