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Uttarakhand Election result 2022: नतीजे आने से पहले ही किलेबंदी शुरू, बड़े सियासी ड्रामे की आहट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री निशंक से कुछ निर्दलीय प्रत्याशी मिले हैं। वहीं कांग्रेस ने विधायकों के लिए कवच बनाया है।

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही उत्तराखंड में बड़े सियासी ड्रामे की आहट शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने मोर्चों पर किलेबंदी में जुट गई है। भाजपा ने सरकार बनाने के अभियान पर जोड़-तोड़ की राजनीति के रणनीतिकार राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून भेजा तो जवाब में कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के कई क्षत्रपों को मोर्चे पर उतार दिया।

देहरादून में दस्तक के साथ विजयवर्गीय पार्टी के सभी क्षत्रपों के साथ गुप्त मंत्रणाओं में मशगूल हैं। इस बीच सियासी हलकों में यह चर्चा है कि दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल से मुलाकात की है। इनमें एक यमुनोत्री सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े संजय डोभाल हैं, उन्होंने भाजपा नेताओं से मुलाकात की पुष्टि की है।

विजयवर्गीय की सक्रियता से कांग्रेस के खेमे में खलबली
उधर, निर्दलीय प्रत्याशियों से भाजपा नेताओं की मुलाकात को जोड़ तोड़ की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा एग्जिट पोल के अनुमानों से भी अधिक सीटें जीतेगी। लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती, जो सरकार बनाने की राह में रोडा बने। इसलिए वह हर विकल्प पर गंभीरता से काम कर रही है।

इसमें नतीजे आने से पहले जिताऊ माने जाने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन हासिल कर लेना भी शामिल है। उधर, 2016 में सेंधमारी का जख्म झेल चुकी कांग्रेस भी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। सेंधमारी के रणनीतकार कैलाश विजयवर्गीय के दून पहुंचने के बाद से ही कांग्रेस के खेमे में खलबली है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विजयवर्गीय की सक्रियता को लेकर शंका जाहिर कर चुके हैं। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस आलाकमान ने भी अपने क्षत्रपों को उत्तराखंड कूच करने का फरमान जारी कर दिया है। उन्हें विशेष पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड भेजा गया है। मंगलवार को पार्टी के कई केंद्रीय दिग्गजों ने दून में डेरा जमा लिया।

जिताऊ प्रत्याशियों के लिए अभेद्य कवच तैयार करने की रणनीति पर मंथन

बुधवार को छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल के भी देहरादून पहुंचने की चर्चा है। इसे भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। मंगलवार को कांग्रेस ने मतगणना की तैयारियों के बहाने जो बैठक बुलाई उसमें कांग्रेस अपने जिताऊ प्रत्याशियों के लिए अभेद्य कवच तैयार करने की रणनीति पर मंथन हुआ।

कांग्रेस के हलकों में भी यह चर्चा गरमा रही है कि कांग्रेस अपने विधायकों के लिए बाड़बंदी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है और यदि कांटे का मुकाबला बनता है तो अपने विधायकों को वह राजस्थान या छत्तीसगढ़ भी भेज सकती है। इन सभी सियासी संभावनाओं के बीच उत्तराखंड में सियासी ड्रामे का मंच बन सकता है।

किंगमेकर की भूमिका में रह सकती है बसपा
एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने तरीकों से सरकार बनाने की तैयारी में जुटी है तो दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी भी इस बार अपनी जीत को लेकर मुतमईन है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल सिंह दावा कर रहे हैं कि छह से आठ सीटों पर उनका कब्जा होने वाला है।

हालांकि इतने विधायक आने पर वह किसे समर्थन करेंगे, इस पर निर्णय बसपा सुप्रीमो मायावती को ही लेना है, लेकिन बसपा अध्यक्ष का कहना है कि जो भी पार्टी सत्ता में आएगी, वह उनके बिना सरकार नहीं बना पाएगी। शीशपाल सिंह के मुताबिक इस बार जनता ने उन्हें मोहब्बतों से नवाजा है।

निश्चित तौर पर वह नई सरकार में जनता की समस्याओं के समाधान के लिए काम करने को तैयार हो रहे हैं। गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में पहली बार प्रदेश में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था। 2012 के चुनाव में बसपा को तीन सीटों पर जीत मिली थी।

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