कुमाऊं विवि के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह नैनो साइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी सेंटर, रसायन विज्ञान विभाग के प्रो नन्द गोपाल साहू तथा उनके शोध समूह ने एक ऑस्ट्रेलियन पेटेंट प्राप्त किया है।
शोधार्थी चेतना तिवारी ने बताया कि यह पेटेंट उन्हें रिंगाल बम्बू से नेनो मैटीरियल बनाने के लिए मिला है। उन्होंने ग्रीन और पर्यावरण प्रिय विधि से ग्राफीन आधारित पदार्थ बनाए हैं। उनके अनुसार इस नेनो मेटेरियल का उपयोग जल शुद्धिकरण तथा बायो इमेजिंग के लिए किया जा सकता है।
यह पदार्थ जल से डाई, हेवी मेटल्स, तथा मिश्रित दवाइयों से अवशेष हटाकर जल को शुद्ध करता है। इस तकनीकी का उपयोग औद्योगिक स्तर पर नेनो मेटेरियल बनाने तथा जल शुद्धिकरण के लिए किया जा सकता है। उक्त पैटेंट संबंधित प्रयोगात्मक कार्य को प्रो साहू तथा उनके संगठन के डी एस टी के साथ चल रहे “सूत्रम” प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया है।
कुलपति प्रो एनके जोशी, रजिस्ट्रार, दिनेश चंद्रा, डीन साइंस व विभागाध्यक्ष प्रो एबी मेलकानी, निदेशक शोध प्रो ललित तिवारी ने भी बधाई ज्ञापित की है। इस पेटेंट में शोधार्थी चेतना तिवारी, डॉ संदीप पाण्डेय, गौरव ततरारी, डॉ हिमानी तिवारी, डॉ अनीरबन डंडापात ने शामिल हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का दक्षिण अफ्रीका के विश्वविद्यालय से करार होगा। जहां विद्यार्थी एक-दूसरे संस्थानों का लाभ उठा सकेंगें। वहीं शिक्षकों को भी एक-दूसरे विश्वविद्यालय में पढ़ाने का अवसर मिलेगा। यह चर्चा शुक्रवार को विश्वविद्यालय में आयोजित गोष्ठी में हुई।
दक्षिण अफ्रीका के यूनिवर्सिटी आफ क्वाजूलू नटाल दर्बन में गणित के प्रोफेसर अनेश कुमार महाराज शुक्रवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय पहुंचे। स्कूल आफ कंप्यूटर एंड साइंस में आयोजित गोष्ठी में प्रो. महाराज ने कहा कि दोनों देशों के विश्वविद्यालय एक-दूसरे के साथ बहुत सी चीजें आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह सुनहरा अवसर हो सकता
शिक्षकों को भी नया ज्ञान सीखने व सिखाने का मौका मिलेगा। इस दौरान कुलसचिव प्रो. पीडी पंत ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के संयुक्त पहल से बहुत लाभ मिलेगा। शोध कार्यों को भी बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही प्रो. अनज ने हैलो हल्द्वानी रेडियो चैनल में डा. आशुतोष भट्ट व सुनीता भाष्कर से साथ चर्चा की। इस अवसर पर डा. विनोद, डा. बालम, डा. पार्थ, डा. अरविंद, डा. ज्योति रानी, डा. सहगल, डा. विशाल आदि शामिल रहे।
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