देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले चिंता बढ़ाने वाले हैं। ज्यादातर केस ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट BA.2 के रिकॉर्ड किए जा रहे हैं, जिन्हें अध्ययन में काफी अधिक संक्रामता वाला बताया जाता है। पिछले 24 घंटे में देशभर में 2500 से अधिक नए मामले सामने आए, वहीं करीब 30 लोगों की संक्रमण के कारण मौत हुई है। जिस तरह से पिछले दो हफ्तों से कोरोना के मामलों में तेजी देखी जा रही है, ऐसे में
देश में संक्रमण के चौथी लहर की आशंका बढ़ गई है। बड़ी बात यह भी है कि देश के कुछ राज्यों से अब तक के सबसे अधिक संक्रामकता वाले नए एक्सई वैरिएंट से संक्रमण को लेकर भी खबरें सामने आ रही हैं। एक्सई वैरिएंट की संक्रामकता दर को लेकर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने लोगों को सचेत किया है।
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे बताते हैं, संक्रमण की स्थिति के बारे में जानने के लिए हर तीन महीने में सीरो सर्वे किए जाते हैं। यह सर्वे बनारस के लोगों पर किया गया। इस शोध के लिए 116 लोगों के रैंडम सैंपल लेकर उनमें कोविड-19 रोग प्रतिरोधक एंटीबॉडीज का स्तर जानने के लिए अध्ययन किया गया। इसमें जो आंकड़े सामने आए हैं वह निश्चित ही डराने वाले हैं।
सैंपल के अध्ययन से पता चला कि 30 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज का स्तर लगभग खत्म हो चुका है। ऐसे में उनमें संक्रमण का जोखिम अधिक हो सकता है। 46 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज का स्तर काफी कम मात्रा में पाया गया, जोकि सामान्यत: एक से डेढ़ महीने में खत्म हो जाती हैं। सिर्फ 17 फीसदी लोगों में ही संक्रमण से मुकाबले के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज पाई गई हैं।
प्रोफेसर चौबे बताते हैं, अध्ययन के दौरान वैक्सीनेशन और प्राकृतिक संक्रमण, दोनों स्थितियों में निर्मित एंटीबॉडीज के स्तर पर गौर किया गया। शोध से पता चलता है जिन लोगों में एंटीबॉडीज बिल्कुल नहीं हैं, वह तीसरी लहर के दौरान संक्रमित नहीं थे, इनमें से ज्यादातर लोगों का जुलाई 2021 में वैक्सीनेशन का दोनों डोज पूरा हो चुका था।
जिनमें कम मात्रा में एंटीबॉडीज पाई गईं, वह दूसरी लहर के दौरान जबकि जिन लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडीज मौजूद हैं, वह तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के शिकार रह चुके हैं।
प्रोफेसर चौबे कहते हैं, ज्यादातर लोगों में फिलहाल ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट के ही मामले देखे जा रहे हैं। शोध में पाया गया है कि ये वैरिएंट्स गंभीर रोगों का कारण तो नहीं बन रहे हैं, हालांकि इनकी संक्रामता अधिक जरूर है। विशेषरूप से ओमिक्रॉन BA.2 (इस समय का मुख्य वैरिएंट), तीसरी लहर के कारण माने जा रहे ओमिक्रॉन BA.1 की तुलना में 10 फीसदी अधिक संक्रामकता वाला पाया गया है। फिलहाल इनसे संक्रमण की स्थिति में लोगों में गंभीर रोग के मामले ज्यादा नहीं देखे जा रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में एक्सई वैरिएंट की संक्रामता दर को लेकर लोगों को अलर्ट किया है। शोध में पता चलता है कि यह ओमिक्रॉन BA.2 से भी 10 फीसदी अधिक संक्रामकता वाला हो सकता है। इस बारे में प्रोफेसर चौबे बताते हैं, मुंबई सहित कुछ अन्य हिस्सों में एक्सई वैरिएंट के मामले जरूर सामने आए हैं, हालांकि ओवरऑल देखें तो देश में फिलहाल ओमिक्रॉन BA.2 के ही मामले अधिक देखे जा रहे हैं। यह संक्रामकता में अधिक जरूर है पर इसके कारण बहुत गंभीर मामले देखने को नहीं मिल रहे हैं। हालांकि लोगों को इससे विशेष बचाव की आवश्यकता है।
प्रोफेसर चौबे कहते हैं, जिस तरह से पिछले दिनों देश में तेजी से संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं, ऐसे में इस बात की आशंका बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में देश को संक्रमण की एक और लहर का सामना करना पड़ सकता है। अभी यह कह पाना, कि इसकी अवधि कितनी होगी या यह कितनी बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है, फिलहाल थोड़ी जल्दबाजी होगी। हां, पर ऐसी उम्मीद जरूर की जा रही है कि तीसरी लहर की तुलना में चौथी लहर कम गंभीर होने के साथ जल्दी शुरू होकर जल्द ही खत्म हो जाएगी।
प्रोफेसर चौबे कहते हैं, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि यह संभावित लहर, तीसरी लहर से भी कम मामलों वाली हो सकती है। इस बार ज्यादा लोगों के संक्रमित होने की आशंका कम है। यह भी माना जा रहा कि पूरे देश में इसका असर एक साथ नहीं होगा।
देश के अलग-अलग जगहों पर लहर अलग-अलग समय में आ सकती है।कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करके इससे बचाव किया जा सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को इसको लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण से बचाव ही फिलहाल एक प्रभावी तरीका माना जा रहा है, इसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
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