भारतीय टीम 43 साल बाद इस बैडमिंटन टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंच सकी है। इससे पहले टीम 1952, 1955 और 1979 में सेमीफाइनल में पहुंची भारतीय टीम थॉमस कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई है। गुरुवार को खेले गए क्वार्टरफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया ने पांच बार की चैंपियन मलेशिया की टीम को 3-2 से हरा दिया। एक वक्त स्कोर 2-2 की बराबरी पर था। इसके बाद एचएस प्रणय ने निर्णायक मुकाबले में भारतीय टीम को जीत दिलाई। इस जीत के साथ भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में पहला मेडल पक्का किया।
भारतीय टीम 43 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंच सकी है। इससे पहले टीम 1952, 1955 और 1979 में सेमीफाइनल में पहुंची थी। हालांकि, तब सिर्फ फाइनल में पहुंचने वाली टीमों को ही मेडल दिए जाते थे। इस बार टीम ने कम से कम कांस्य पदक पक्का कर लिया है।
टीम इंडिया की शुरुआत खराब रही और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले लक्ष्य सेन को पहले मैच में ली जी जिया के हाथों 23-21, 21-9 से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सात्विकसाइराज रैंकिरेड्डी और चिराग शेट्टी ने भारत की वापसी कराई और डबल्स मैच जीता। इस जोड़ी ने गोह जे फेई और नूर इज्जुद्दिन को 21-19, 21-15 से हराया।
किदांबी श्रीकांत ने अगला मैच जीतकर भारत को 2-1 की बढ़त दिला दी। श्रीकांत ने जी योंग को 21-11, 21-17 से हराया। हालांकि, इसके बाद चौथे मैच में मलेशिया के एरॉन चिया और तियो ई यी ने भारत के कृष्णा प्रसाद गरागा और विष्णुवर्धन गौड़ पन्जाला की जोड़ी को 21-17, 21-19 से हरा दिया और स्कोर 2-2 से बराबर कर दिया।
ऐसे में मैच प्रणय और लियोंग के निर्णायक मैच तक पहुंचा। प्रणय ने निराश नहीं किया और मैच जीतकर भारत को सेमीफाइनल में जगह दिलाई। सेमीफाइनल में भारत का सामना डेनमार्क और कोरिया के बीच होने वाले दूसरे क्वार्टरफाइनल मैच के विजेता से होगा।थी। हालांकि, तब सिर्फ फाइनल में पहुंचने वाली टीमों को ही मेडल दिए जाते थे।
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