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श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का एलान- संविधान संशोधन जल्द, भाई महिंदा के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच विपक्ष से की ये अपील

गोटबाया ने विपक्ष की ओर से इशारा करते हुए अपील की कि उन्हें इन सब कार्यों के लिए सहयोग की जरूरत होगी, ताकि लोगों की जान और संपत्ति बचाई जा सके। साथ ही देश को बिखरने से रोकते हुए जरूरी सामानों की सप्लाई को बनाए रखा जा सके।

संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पद छोड़ने से इनकार कर चुके हैं। हालांकि, गुरुवार को ट्वीट्स के जरिए उन्होंने श्रीलंका में शांति लाने के तरीकों का जिक्र किया। इसमें उन्होंने संविधान में संशोधन के साथ विपक्ष के साथ अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करने का भी वादा किया।

राष्ट्रपति गोटबाया ने अपने चार ट्वीट्स की कड़ी में श्रीलंका में फैली अशांति को खत्म करने के तरीके सुझाए हैं। उन्होंने कहा, “नई सरकार बनाने के कदम उठाए जाएंगे, ताकि इस देश को अराजकता की गर्त में जाने बचाया जाए और सरकार के रुके हुए कार्यों को आगे बढ़ाना सुनिश्चित किया जा सके। इसी हफ्ते एक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होगी, जिसके पास न सिर्फ संसद में बहुमत होगा, बल्कि वह लोगों का भरोसा भी जीत सकेगा।”

अगले ही ट्वीट में गोटबाया ने कहा, “नई सरकार को देश को आगे ले जाने के लिए नए कार्यक्रम पेश करने का मौका दिया जाएगा। इसके अलावा संविधान को संशोधित किया जाएगा, ताकि 19वें संशोधन के नियमों को फिर से लागू कर संसद को और मजबूत किया जा सके।” राजपक्षे ने यह भी कहा कि विपक्ष की ओर से की जा रही मांगों पर भी बैठक बुलाई जाएगी। नई सरकार और उसकी देश को स्थायित्व देने की क्षमता के साथ हमारे पास सत्ता और उसकी ताकतों पर चर्चा करने का मौका होगा।

आखिरी ट्वीट में गोटबाया ने विपक्ष की ओर से इशारा करते हुए अपील की कि उन्हें इन सब कार्यों के लिए सहयोग की जरूरत होगी, ताकि लोगों की जान और संपत्ति बचाई जा सके। साथ ही देश को बिखरने से रोकते हुए जरूरी सामानों की सप्लाई को बनाए रखा जा सके।

राष्ट्र के नाम संबोधन में भी कही थीं सुधार की बातें
संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति बिना मंत्रिमंडल के ही देश को चलाने के लिए अधिकार प्राप्त हैं। हालांकि, गोटबाया ने एक दिन पहले भी बयान दिया था कि वह इसी हफ्ते नए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की नियुक्ति करेंगे। यह मंत्रीमंडल संवैधानिक सुधार पेश करेगा। देश में गंभीर आर्थिक संकट के चलते सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। संकट के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले महिंदा राजपक्षे अपने करीबियों पर हमले के मद्देनजर एक नौसेना अड्डे पर सुरक्षा घेरे में हैं।

इस हफ्ते की शुरुआत में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए गोटबाया ने कहा कि नौ मई को जो कुछ हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा, ‘‘हत्याओं, हमले, धौंसपट्टी, संपत्ति को नष्ट करना और उसके बाद के जघन्य कृत्यों को बिल्कुल सही नहीं ठहराया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक को जांच करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका पुलिस एवं सैन्यबल को हिंसा फैलाने वालों के विरूद्ध कड़ाई से कानून लागू करने का आदेश दिया गया है।

श्रीलंका में उठ रही महिंदा राजपक्षे की गिरफ्तारी की मांग
श्रीलंका अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इससे निपटने में सरकार की विफलता को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच महिंदा को सुरक्षा मुहैया करायी गई है। विपक्षी दल भी उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) नेता महिंदा 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था।

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